सूखा और पलायन के विरूध्द कोशिश
सूखा और पलायन के विरूध्द कोशिश
टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर स्थित इरायली गाँव में जब डी.पी.आई.पी.दल बेस लाइन सर्वे करने पहुँचा तब गाँव के सरपंच ने बताया कि 3 वर्ष से यहां सूखा स्थिति के चलते किसान फसल नहीं ले पा रहे हैं और ग्रामीण मजदूरी के लिए दिल्ली, आगरा, ग्वालियर के लिये जाने वाले हैं। ऐसी परिस्थिति के बीच गाँव में आशा की किरण का काम सहयोग दल के सदस्यों ने किया। गाँव वालों को योजना के बारे में बताया और समझाया गया। समझाइश के बाद 4 महिलोओं एवं एक पुरूष ने मिलकर समूह का गठन किया।
उप योजना पश्चात परिलक्षित हुए आर्थिक परिवर्तन
बेस लाईन सर्वे के समय
उप योजना के बाद
भूमि की स्थिति
5 एकड़ असिंचित (पड़ती)
5 एकड़ सिंचित भूमिआय
8 हजार रूपये प्रति सदस्य प्रतिवर्ष
12 हजार 500 रूपये प्रतिवर्ष कृषि स्थिति
5 एकड़, एक फसल
9 एकड़, दो फसल (5 एकड़ स्वयं, 4 एकड़ अन्य)पशुपालन की स्थिति
1 गाय, 3 बैल
2 गाय, 4 बैल आवास
2 कच्चे मकान
3 कच्चे मकान पलायन की स्थिति प्रतिवर्ष पलायन रूका जागरूकता की स्थिति बैठक, प्रस्ताव, बैंक कार्य, राशि जमा करना आहरण की जानकारी नहींबैठक, प्रस्ताव, बैंक के कार्यो इत्यादि की जानकारी। कई अन्य योजनाओं सहित ग्राम सभा की जानकारी घरेलू उपकरण की स्थिति
2 सायकल, एक ट्रांजिस्टर
5 सायकल, 3 टेलीविजन
वर्ष 05 के 27 अक्टूबर का दिन बराजखेड़ा समहित समूह के लिए ऐसा दिन था जब महिलाओं ने एक जंग की शुरूआत की और सदस्यों की पड़ती भूमि पर कुआं निर्माण का बीड़ा उठाया गया। समूह सदस्यों द्वारा उप योजना तैयार कराई गई जिसमें कूप निर्माण, डीजल पम्प, पाइप, नाडेप टांका निर्माण की गतिविधि ली गई। उप योजना की लागत 82 हजार रूपये थी जिसमें सदस्यों का योगदान 4 हजार 100 रूपये था एवं परियोजना द्वारा 77 हजार 900 रूपये दिये गये।
समूह ने भूमि पर कूप निर्माण कार्य किया एवं इसमें 4 हजार 600 रूपये का योगदान दिया । अपना कोष में भी 8 हजार 200 रूपये जमा किये । समूह के उप योजना से नया डीजल पम्प एवं सिंचाई हेतु 15 पाइप क्रय किये। उर्वरक का खर्च कम करने के लिय जैविक खाद हेतु नाडेप का निर्माण किया गया।
समूह द्वारा किये गये निर्माण से लगभग 5 एकड़ भूमि को सिंचित बनाया गया एवं पहली खरीफ फसल में ही तिल की फसल लगाई गई जिससे 19 हजार 600 रूपये की ब्रिकी हुई। इसके अलावा समूह को प्रदाय डीजल पम्प से सदस्यों ने अपने आस-पास की असिंचित भूमि को पानी दिया जिसमें उन्हें 4 हजार रूपये प्राप्त हुए। यह राशि समूह सदस्यों ने रबी की फसल लगाने पर एवं शेष राशि परिवार के भरण-पोषण पर खर्च की।
· समूह द्वारा अपनी सामंजस्य से बैठक में निर्णय लिया जाता है।
· समूह के सदस्य ग्राम उत्थान समिति के सदस्य हैं जो समस्त बैठकों में आते हैं तथा ग्राम विकास के संबंध में चर्चा में भाग लेते हैं।
· समूह के सदस्यों को हर वर्ष मजदूरी हेतु बाहर जाना पड़ता था जिससे बच्चों को स्कूल भेजने में उनकी रूचि नहीं रहती थी। अब वे गाँव में ही खेती कर रहे हैं और बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं।
समूह के सदस्यों ने सूखे के बावजूद 1.7 हैक्टर में खरीफ की फसल ली एवं 4 एकड़ भूमि बंटाई पर लेकर रबी की फसल का उत्पादन प्रारंभ किया है।
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