कऊन ससुरा कहत है, राम सेतु मानव निर्मित होवे है
व्यंग्य कऊन ससुरा कहत है, राम सेतु मानव निर्मित होवे है चचा तो बुढ़ापे में पक के टपकन की तैयार में पहिले से ही बैठा है, उधर ससुरे हिन्दूवादी अलग लंगोट कसे फिरे हैं कि चचा से कुश्ती हो जाये । ई चचा भी कौन कम बैठे हैं, ठोक दीं ताल कि आजा आडवाणी हो जाये दो दो हाथ । आडवाणी बब्बा प्राइम मिनिस्टरी का टिकिट कटा के नंबर लगावन में बिजी हैं । ऐसे में चचा की ताल और लंगोट का पंगा । मुसीबत है ससुरी, छुटटी पा ली कह के कि चचा तो ससुरा मानसिक संतुलनवा खो बैठा है । गोया पगलवा गया है । चचा पे खबर सरकी तो चचा और उबल गया अरे उबल के खदक गया । बोला ससुरा ई सेतु वेतु कुछ नहीं होना मांगता, ई तो ससुरा मानव निर्मित ही नहीं है तो ऐतु सेतु फेतु आटोमेटिकली क्रियेटेड होना मांगता । जैसे मॉं के पेट में बच्चा अपने आप बन जाता वैसे ही समन्दर भीतर ई सेतु फेतु आटोटिक बन जाता । ई साफी चुटिया वाला फोकट भभ्भर करता, टेंशन देता, साला लम्बा चौड़ा करूड़वा अरबवा का प्रोजेक्ट रूकवाता, वेरी बेड वेरी बेड । अरे ससुरा ई कोई राम वाम क्या होवे है, बाल्मीक जी बोले हैं कि दारू में धुत्त रहवे है...