विज्ञान लोक कल्याण तथा जन समस्याओं के समाधान में मददगार बने
विज्ञान लोक कल्याण तथा जन समस्याओं के समाधान में मददगार बने
भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2007 की उद्धोषणा के अवसर पर : डॉ. माधवन नायर
ाुप्रसिध्द वैज्ञानिक तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. जी. माधवन नायर ने कहा है कि आजादी के बरसों बाद भी हमारे देश के ग्रामीण अंचलों में पेयजल, स्वच्छता तथा शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। अत: यह जरूरी है कि विज्ञान और तकनालॉजी का व्यापक उपयोग दैनिक जनजीवन की समस्याओं के समाधान के लिये किया जाय तथा विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधानों का ज्यादा से ज्यादा लाभ देश के विकास और तरक्की के कार्यों को मिले। श्री नायर ने आगामी नवंबर माह में भोपाल में आयोजित होने वाले भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2007 की उद्धोषणा के समारोह में यह उद्गार व्यक्त किये। इस अवसर पर परम कम्प्यूटर के जनक डा. विजय भाटकर विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महानिदेशक मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद डॉ. महेश शर्मा ने की। कार्यक्रम का शुभांरभ डॉ. नायर ने दीप प्रज्वालित कर किया।
मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में डॉ. माधवन नायर ने मध्यप्रदेश में विज्ञान और तकनालॉजी को प्रोत्साहन देने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किये जा रहे प्रयासों की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा कि इस पहल से विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने में व्यापक मदद मिलेगी। श्री नायर ने गौरव के साथ कहा कि आज हमारा देश परमाणु उर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान, रक्षा अनुसंधान, कृषि चिकित्सा तथा औद्योगिक प्रगति के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी है। इसके साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के विकास में हमारे देश के युवा वर्ग को तरक्की के व्यापक अवसर सुलभ हो रहे हैं। इस प्रगति का लाभ देश के आम लोगों तक पहुंचाया जाना आवश्यक है। श्री नायर ने भारतीय विज्ञान सम्मेलन के आयोजन को इस दृष्टि से बेहद उपयोगी बताया।
इस अवसर पर आपने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने की दिशा में विज्ञान भारती संस्था के प्रयासों की भी सराहना की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए परम कम्प्यूटर के जनक डा. विजय भाटकर ने भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में 9 अगस्त को एक ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने कहा कि 9 अगस्त 1942 को देश में अंग्रेंजों के विरूध्द भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत हुई थी। आज इसी ऐतिहासिक तारीख को भारतीय विज्ञान सम्मेलन की घोषणा हुई है। अब हमें देश ही नहीं दुनिया भर के वैज्ञानिकों से यह आग्रह करना है कि 'भारत आओ' इससे देश में विज्ञान तथा तकनालॉजी के विकास को नई दिशा मिल सकेगी। श्री भाटकर ने इस दौरान कहा कि प्राचीनकाल से ही भारत विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। हमारे प्राचीन वेद, उपनिषदों तथा शास्त्रों में विज्ञान की विशद व्याख्याएें की गई है तथा विज्ञान को सर्व जगत तथा प्राणियों के कल्याण का माध्यम माना गया है। आपने कहा कि प्राचीन भारतीय दर्शन के इस वैज्ञानिक सत्य को सारी दुनियां में स्वीकारा गया है। श्री भाटकर ने इस अवसर पर कहा कि नवंबर माह में आयोजित होने जा रहे भारतीय विज्ञान सम्मेलन में वैज्ञानिकों, तकनीकी विदों, शिक्षा विदों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों तथा किसानों और शिल्पियों को आपस में विचार मंथन का महत्वपूर्ण मौका मिलेगा।
इसके पहले महानिदेशक (मेपकास्ट) मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद डॉ. महेश शर्मा ने मेपकास्ट, विज्ञान भारती और राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा मिलकर आयोजित किये जाने वाले भारतीय विज्ञान सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस सम्मेलन का मुख्य विषय 'अक्षय विकास के लिये प्राकृतिक संसाधनों का समग्र वैज्ञानिक प्रबंधन' है। इस सम्मेलन में बारह महत्वपूर्ण विषयों पर करीब 800 शोध पत्र प्रस्तुत होंगे।
भारतीय विज्ञान सम्मेलन की उद्धोषणा के इस अवसर पर विज्ञान भारती एवं स्वदेशी आंदोलन के अध्यक्ष प्रो. के.आई.वासू, कुलपति राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय डा. पी.बी. शर्मा, कुलपति बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल डॉ. आर.एस. सिरोही तथा डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के कुलपति डा. डी.पी. सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कई जाने माने वैज्ञानिक, शिक्षाविद, विज्ञान संस्थाओं के पदाधिकारी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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