पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण

पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण
27 फरवरी 08/पंचायती राज मंत्री श्री मणिशंकर अय्यर ने आज एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोकसभा को बताया कि सन 1993, जब संविधान (73 वॉ संशोधन) अधिनियम ,1992 प्रभाव में आया, से संविधान के अनुच्छेद 243 के खंड दो और तीन के अनुसार पंचायती राज व्यवस्था के सभी तीन स्तरों की सीटों और अध्यक्ष पदों के एक तिहाई को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है।
(2) खंड (1) के अधीन आरक्षित स्थानों की कुल संख्या के कम से कम एक तिहाई स्थान, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे।
प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या के कम से कम एक तिहाई स्थान ( जिनके अंतर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या भी है)महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आवंटित किए जा सकेंगे।
संविधान के 73 वें संशोधन अधिनियम के प्रभाव में आने के बाद के दो से तीन दौरों के चुनावों में पंचायतों में महिलाओं का वास्तविक प्रतिनिधित्व उत्तरोत्तर बढता गया है और बहुधा वह एक-तिहाई के अनुपात से आगे गया है। काफी संख्या में महिलाएं सामान्य स्थानों से भी चुनाव लड़ती है और जीतती हैं। कुछ राज्यों ने संविधान के अनुच्छेद 243 (घ) में उपबंधित एक तिहाई अनुपात से अधिक स्थान के आरक्षण को भी महिलाओं के लिए अधिदेशित किया है। उदाहरणस्वरूप, बिहार और मध्यप्रदेश ने पंचायतों के सभी स्तरों में महिलाओं के लिए 50प्रतिशत स्थान आरक्षित किया गया है जबकि सिक्किम ने 40 प्रतिशत स्थान आरक्षित किया है।

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