प्रदेश की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये हर सम्भव प्रयास होंगे
प्रदेश की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये हर सम्भव प्रयास होंगे
संस्कृति विभाग की परामर्शदात्री समिति की बैठक सम्पन्न
भोपाल : तीन अगस्त, 2007
संस्कृति राज्यमंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा है कि प्रदेश की लोक संस्कृति के संरक्षण के लिये संस्कृति विभाग द्वारा हर-सम्भव प्रयास किये जायेंगे। इसके लिये प्रदेश के लोक कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिये बेहतर मंच प्रदान किया जा रहा है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश के विभिन्न अंचलों में अनेक प्रतिष्ठित आयोजन किये जा रहे हैं। श्री शर्मा आज विधानसभा के समिति कक्ष में आयोजित संस्कृति विभाग की परामर्शदात्री समिति की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर समिति के सदस्य विधायक श्री अखण्ड प्रताप सिंह, संस्कृति सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव भी मौजूद थे।
समिति के सदस्य श्री अखण्ड प्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान में संस्कृति विभाग का बजट अपेक्षा के अनुरूप कम है। समिति ने राज्य शासन को विभागीय बजट बढ़ाने के लिये सिफारिश किये जाने का निर्णय लिया। उन्होंने प्रदेश की लोक गायिकी को प्रोत्साहित करने के लिये बैजू बाबरा एवं सूरदास सम्मान स्थापित किये जाने का भी सुझाव दिया। आयुक्त पुरातत्व श्री पंकज राग ने बताया कि प्रदेश में पुरातत्व महत्व के स्मारकों के संरक्षण के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। अब प्रदेश में संरक्षित पुरातत्व स्मारकों की संख्या 320 है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रारंभ हुआ 16 कला दीर्घाओं वाला राज्य संग्रहालय देश के उत्कृष्ट संग्रहालयों में से एक है। यहाँ पर दर्शकों को आधुनिक तकनीक के जरिये जानकारी दिये जाने के लिये अनेक उपकरण लगाये गये हैं। श्री राग ने बताया कि प्रदेश की पुरासम्पदा को संरक्षित करने के लिये 21 जिलों की 41 तहसीलों का ग्रामवार पुरातत्वीय सर्वेक्षण कार्य किया जा चुका है। राज्य सरकार ने पुरातत्व के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति को सम्मानित करने के लिये डॉ. वाकणकर के नाम से राष्ट्रीय सम्मान वर्ष 2005 से स्थापित किया है।
संस्कृति संचालनालय के संचालक श्री पवन श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में विभिन्न अंचलों में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। हाल ही में शास्त्रीय कला के क्षेत्र में प्रारंभ की गई ''अनुश्रुति'' का आयोजन अब राजधानी के अलावा प्रदेश के विभिन्न अंचलों में आयोजित किया जा रहा है। प्रदेश में 15 राष्ट्रीय सम्मान एवं तीन राज्य स्तरीय सम्मान विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रदान किये जा रहे हैं। प्रदेश के अनेक कलाकारों को उनकी जरूरत के मुताबिक आर्थिक सहायता भी संस्कृति विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई है। बैठक में हाल ही में गठित सिन्धी अकादमी की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी गई।
स्वराज संस्थान के संचालक श्री श्रीराम तिवारी ने संस्थान की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्वराज संस्थान ने चन्द्रशेखर आज़ाद जन्म शताब्दी, प्रथम मुक्ति संग्राम के 150 वर्षगांठ, जंगल सत्याग्रह के 75 वर्ष के दौरान अनेक कायक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
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