प्रदेश में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती प्रतिवर्ष कवि दिवस के रूप में मनायी जायेगी

प्रदेश में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती प्रतिवर्ष कवि दिवस के रूप में मनायी जायेगी

 

भोपाल : तीन अगस्त, 2007

संस्कृति राज्य मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा है कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती प्रदेश में प्रतिवर्ष तीन अगस्त को कवि दिवस के रूप में व्यापक रूप से मनायी जायेगी। यह निर्णय राज्य शासन ने लिया है। युवा पीढ़ी भारतीय साहित्य के स्वर्णिम इतिहास से भली-भांति वाकिफ हो सके इस उद्देश्य से संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश में भारतीय कवियों पर केन्द्रित करते हुए अनेक आयोजन करेगा। श्री शर्मा आज भारत भवन में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर आयोजित दो दिवसीय समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

संस्कृति मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश की शैक्षणिक संस्थाओं एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से कहा गया है कि वे वर्षभर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर केन्द्रित करते हुए कार्यक्रम आयोजित करें। इस मौके पर वक्ताओं ने मैथिलीशरण गुप्त के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार व्यक्त किये।

प्रसिध्द साहित्यकार डॉ. कृष्ण दत्त पालीवाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रकवि स्व. श्री गुप्त की रचनाएं राष्ट्रवाद से ओतप्रोत थीं। उनकी कविताओं में ग्रामीण परिवेश की सुगंध महसूस होती थी। उनके काव्य में खड़ी बोली का प्रयोग स्थापित रूप से किया गया। स्व. श्री गुप्त ने गाँधी जी पर केन्द्रित करते हुए 100 से अधिक काव्य रचनाएं कीं। उन्होंने पौराणिक कथाओं के अनेक छिपे हुए चरित्रों का विश्लेषण किया। स्व. श्री गुप्त ने बांगला की अनेक कविताओं का अनुवाद कर हिन्दी साहित्य को समृध्द किया।

श्री बलदेव वंशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्व. गुप्त की काव्य रचनाएं आत्मज्ञान का बोध कराती हैं। उनकी रचनाओं में भाव के साथ भक्ति देखने को मिलती है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अच्युतानंद मिश्र ने कहा कि स्व. गुप्त की रचनाएं राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित थीं। उनकी कविताओं ने लोगों को जोड़ने का काम किया। उन्होंने रामभक्ति के साथ लोगों को देशभक्ति के साथ जोड़ने का कार्य किया।

संस्कृति सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि स्व. श्री मैथिलीशरण गुप्त की कविताओं का सरोकार नागरिकों के साथ ज्यादा था। उनकी कविताएं खड़ी बोली में ग्रामीण दर्शन का बोध कराती थीं।

साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. देवेन्द्र दीपक ने कहा कि यह गौरव का विषय है कि हम सब राष्ट्रकवि स्व. गुप्त को भारत भवन में स्मरण कर रहे हैं। इस मौके पर श्रीमती वैशाली गुप्ता के निर्देशन में मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित साकेत पर बैले की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने स्व. मैथिलीशरण गुप्त के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया।

 

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