किफायती प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए भारत-अमरीका समझौता

किफायती प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए भारत-अमरीका समझौता

भारत और अमरीका के बीच स्वास्थ्य विज्ञान पर विचार-विमर्श के लिए आज यहां एक बैठक हुई। भारत सरकार के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस बैठक में लोगों के स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए जैव-चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्रों का पता लगाने और इनमें मिलकर अनुसंधान करने के उद्देश्य से सार्वजनिकनिजी संस्थानों के भारतीय और अमरीकी वैज्ञानिकों के बीच विशेषज्ञता के आदान-प्रदान पर विशेष रूप से चर्चा हुई।  अमरीका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के अंतर्गत नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ बायो-मेडिकल इमेजिंग एंड बायो-इंजीनियरिंग तथा भारत  सरकार के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। समझौते का उद्देश्य निदान तथा चिकित्सा के क्षेत्र में किफायती प्रौद्योगिकियों का विकास करना है। समझौते के तहत  संघात, मातृत्व तथा शिशु देखभाल और मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसे पुराने रोगों तथा संक्रामक बीमारियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। दोनों देश कार्यशालाओं के आयोजन, अनुभवों तथा वैज्ञानिक जानकारी के आदान-प्रदान के लिए बैठकें, इस क्षेत्र से जुड़े उत्कृष्ट केन्द्रों, संस्थानों और दोनों देशों के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा अनुसंधान, अनुसंधान प्रशिक्षण तथा प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में सहयोग करेंगे।

       बैठक को सम्बोधित करते हुए, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी और भू-विज्ञान मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने सार्वजनिक स्वास्थ्य  क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव समाधानों के खोज के उद्देश्य से अनुसंधान गतिविधियां चलाने के वास्ते सार्वजनिक संस्थानों को धन की उपलब्धता की जरूरत पर बल दिया।  एनआईएच, अमरीका के निदेशक डॉ0 एलियास ए. ज़ेर्हौनी ने अपने सम्बोधन में जैव-चिकित्सा अनुसंधान के लिए एनआईएच की तैयारियों तथा पिछले वर्षों में अनुसंधान  के क्षेत्र में आए विशेष बदलाव की चर्चा की।

 

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