आदमी हुआ गरमी व तेज धूप से बेहाल
आदमी हुआ गरमी व तेज धूप से बेहाल
संजय गुप्ता (मांडिल) मुरैना ब्यूरो चीफ मुरैना, 26 मार्च। अभी होली को समाप्त हुए पांच दिन ही हुए है कि मार्च माह में मई - जून का अहसास होने लगा है। आम आदमी गरमी से अभी से बेहाल हुआ जा रहा है। सुबह दस बजे से ही गरमी व तेज धूप अपनी रंगत में आ जाती है। गरमी का आलम यह है कि कूलर व पंखे भी जबाब देने लगे है। ऊपर से बिजली की आंख मिचौली रही सही कसर भी पूरी कर देती है। मुरैना में 2 बजे से लेकर 5 बजे तक बिजली की कटौती जले पर नमक का काम करती है। शहर की जनता अपने कामों को सुबह या शाम को निपटाने का प्रयास करते है, जो लोग नौकरी पैशा है उनका तो समय कूलर पंखे व ऑफिस में कट जाता है। पर जब लाइट चली जाती है तो यही लोग बिजली विभाग को कौसते नजर आते है आम मजदूर वर्ग को गरमी, धूप व धूल की परवाह नहीं रहती है क्योंकि उन्हें रोज कुआं खोदना है और पानी पीना होता है। शहर में दोपहर के समय सड़के विरान हो जाती है, और जिन्हें बहुत जरुरी काम होता है वहीं इक्का दूक्का लोग दोपहर के समय सड़को पर नजर आते है। अधिकतर दोपहिया वाहन पर चलने वाले लोग अपने चेहरों पर धूप के चश्में, व गमछे का प्रयोग करके इस गरमी से बचने की कोशिश कर रहे है। शहर में जगह - जगह समाज सेवी संस्थाए व छोटे - मोटे व्यापारी वर्ग के लोग अपने - अपने सामर्थ्य के अनुसार प्याऊ का खोल रहे है, जिससे सड़क चलते प्यास और गरमी से बेहाल लोगों को पानी पीकर कुछ राहत मिल सके। गरमी से बेहाल लोग अब सड़कों पर मिट्टी के घड़े खरीदते हुए आसानी से मिल जाते है शहर के सड़को पर रौनक शाम 6 बजे के बाद ही दिखाई देती है जहां लोग अपने परिवार के साथ किसी आइसक्रिम के ठेले पर या फालूदा का मजा लेते हुए मिल जाते है। शाम के समय शहर के पार्को की रौनक भी बड़ गयी है। जहां उन्हें सुकून के चंद लम्हें मिल जाते है। वही रातों को मौसम में कुछ राहत नजर आती है क्याकि रातें अभी पूरी तरह से गरमी की गिरफ्त में नहीं है। अगर अभी चैत्र मास में मौसम का यह हाल है तो जेठ के महिने में आदमी गरमी में कैसे रहेगा जहां कूलर और पंखे सभी साधन फैल हो जाते है। मौसम के इस मिजाज के बारे में मौसम विभाग का कहना है कि अभी तो जैसे - जैसे तापमान ऊपर जाता जाएगा मौसम उतना ही गरम होता जाएगा।
संजय गुप्ता (मांडिल) मुरैना ब्यूरो चीफ मुरैना, 26 मार्च। अभी होली को समाप्त हुए पांच दिन ही हुए है कि मार्च माह में मई - जून का अहसास होने लगा है। आम आदमी गरमी से अभी से बेहाल हुआ जा रहा है। सुबह दस बजे से ही गरमी व तेज धूप अपनी रंगत में आ जाती है। गरमी का आलम यह है कि कूलर व पंखे भी जबाब देने लगे है। ऊपर से बिजली की आंख मिचौली रही सही कसर भी पूरी कर देती है। मुरैना में 2 बजे से लेकर 5 बजे तक बिजली की कटौती जले पर नमक का काम करती है। शहर की जनता अपने कामों को सुबह या शाम को निपटाने का प्रयास करते है, जो लोग नौकरी पैशा है उनका तो समय कूलर पंखे व ऑफिस में कट जाता है। पर जब लाइट चली जाती है तो यही लोग बिजली विभाग को कौसते नजर आते है आम मजदूर वर्ग को गरमी, धूप व धूल की परवाह नहीं रहती है क्योंकि उन्हें रोज कुआं खोदना है और पानी पीना होता है। शहर में दोपहर के समय सड़के विरान हो जाती है, और जिन्हें बहुत जरुरी काम होता है वहीं इक्का दूक्का लोग दोपहर के समय सड़को पर नजर आते है। अधिकतर दोपहिया वाहन पर चलने वाले लोग अपने चेहरों पर धूप के चश्में, व गमछे का प्रयोग करके इस गरमी से बचने की कोशिश कर रहे है। शहर में जगह - जगह समाज सेवी संस्थाए व छोटे - मोटे व्यापारी वर्ग के लोग अपने - अपने सामर्थ्य के अनुसार प्याऊ का खोल रहे है, जिससे सड़क चलते प्यास और गरमी से बेहाल लोगों को पानी पीकर कुछ राहत मिल सके। गरमी से बेहाल लोग अब सड़कों पर मिट्टी के घड़े खरीदते हुए आसानी से मिल जाते है शहर के सड़को पर रौनक शाम 6 बजे के बाद ही दिखाई देती है जहां लोग अपने परिवार के साथ किसी आइसक्रिम के ठेले पर या फालूदा का मजा लेते हुए मिल जाते है। शाम के समय शहर के पार्को की रौनक भी बड़ गयी है। जहां उन्हें सुकून के चंद लम्हें मिल जाते है। वही रातों को मौसम में कुछ राहत नजर आती है क्याकि रातें अभी पूरी तरह से गरमी की गिरफ्त में नहीं है। अगर अभी चैत्र मास में मौसम का यह हाल है तो जेठ के महिने में आदमी गरमी में कैसे रहेगा जहां कूलर और पंखे सभी साधन फैल हो जाते है। मौसम के इस मिजाज के बारे में मौसम विभाग का कहना है कि अभी तो जैसे - जैसे तापमान ऊपर जाता जाएगा मौसम उतना ही गरम होता जाएगा।
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