मित्तल ने दिया रेडक्रास के सचिव पद से इस्तीफा

मित्तल ने दिया रेडक्रास के सचिव पद से इस्तीफा
संजय गुप्‍ता (मांडिल) मुरैना ब्‍यूरो चीफ
मुरैना, 26 मार्च। पिछले 15 सालों से रेडक्रास के सचिव पद पर रहे डॉ. मुरारी लाल मित्तल ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह इस्तीफा रेडक्रॉस में राजनीति हस्तक्षेप के चलते दिया है। श्री मित्तल ने मुरैना रेडक्रास को एक खास पहचान दिलाई है। उन्होंने अपना इस्तीफा रेडक्रास के अध्यक्ष कलेक्टर आकाश त्रिपाठी को भेजा दिया है।
ज्ञात है डॉ. मित्तल लम्बे समय से रेडक्रास के सचिव पद आसीन हैं। उन्होंनं इस दौरान मुरैना रेडक्रास सोसायटी को एक खास मुकाम पर पहुंचा दिया है, सोसायटी के माध्यम से जिला अस्पताल का काया - कल्प कर अतिरिक्त सर्व - सुविधा युक्त वार्डो का निर्माण व अन्य जनोपयोगी सुविधाएं यहां उपलब्ध कराने में भरसक प्रयास किए। डॉ. मित्तल के काम को लेकर उनके विरोधियों की निगाहें काफी समय से टेड़ी थी। कांग्रेस के 10 वर्षो के शासनकाल में कई बार यह चर्चा आई कि डाक्टर मित्तल भाजपा समर्थक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी है, इसलिए उन्हें सचिव पद से हटाकर कांग्रेसी व्यक्ति को वहा पर तलब किया जाए लेकिन डाक्टर मित्तल की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को देखकर कांग्रेस के मंत्री, विधायक व अफसरों ने उन्हें इस पद से हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया और कांग्रेस के 10 वर्ष के शासनकाल में उन्होंने रेडक्रास को और ज्यादा संपन्न बनाने के लिए काम किया। इसके बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार आई और दस साल से चुपचाप बैठे भाजपाई घर से निकले और उन्हें अब भाजपा और स्वयंसेवक संघ के उन पदाधिकारियों पर ही निशाना साधना शुरु कर दिया है जो ईमानदारी के साथ अपना काम कर रहे है। डॉ. मित्तल को रेडक्रास सोसायटी से हटाने के लिए भाजपा के हिी कुछ शीर्षस्थ नेता पिछले काफी समय से षडयंत्र रच रहे हैं। इसी तरह के षडयंत्र और काम में आ रही बाधाओं के चलते डॉ. मित्तल ने पिछले दिनों अपने पद से इस्तीफा देते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि वे इन हालातों मेें काम नहीं कर सकते। डा. मित्तल का जो भाजपाई विरोध कर रहे हैं, उसके पीछे मुख्य वजह यही है कि डाक्टर मित्तल ने ईमानदारी के चलते किसी को भी रेडक्रास में बेवजह का हस्तक्षेप न करने का कहा था।
प्राप्त जानकारी के उनसार अभी डाँ. मुरारी लाल मित्तल का इस्तीफा स्वीकार्य नहीं किया गया है। चर्चा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी होने के बाद भी भाजपा के अनुशासित नेता और स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी यह बात कहने का सासह क्यों नहीं कर पा रहे कि आखिर एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति को भी राजनैतिक प्रतिध्दंदिता का शिकार क्यों बनाया जा रहा है।

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