जरेरूआ संस्था का सा.वि. प्रणाली का कार्य छोडने संबंधी आवेदन निरस्त
जरेरूआ संस्था का सा.वि. प्रणाली का कार्य छोडने संबंधी आवेदन निरस्त
संजय गुप्ता(मांडिल) मुरैना ब्यूरो चीफ मुरैना 21 मार्च 08/ कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने वृहत्ताकार प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था, जरेरूआ के अध्यक्ष एवं प्रबंधक श्री दशरथ सिंह के सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्य को छोड़ने संबंधी आवेदन को जनहित में स्वीकार योग्य नहीं होने के कारण निरस्त कर दिया है और संस्था को पूर्व की भांति सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कार्य सुचारू रूप से संपादित करने के आदेश दिए हैं ।
न्यायालय कलेक्टर द्वारा यह आदेश उच्च न्यायालय खंड पीठ ग्वालियर के निर्देशों के परिपालन में जारी किया गया है । उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देकर प्रकरण में विधिसम्मत कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे । कलेक्टर न्यायालय को याचिकाकर्ता ने अभिभाषक के माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्य से हानि होने संबंधी कथन प्रस्तुत किया था ।
म.प्र. (खाद्य पदार्थ ) सार्वजनिक नागरिक पूर्ति वितरण स्कीम 1991 के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कार्य केवल सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही कराने के निर्देश हैं । लेकिन उक्त संस्था ने षडयंत्र पूर्ण ढंग से कार्य छोड़ने का आवेदन प्रस्तुत किया और हानि के संबंध में कोई भी तथ्य प्रस्तुत नहीं किये । जिले में माह सितम्बर 07 से खाद्यान्न, शक्कर और कैरोसिन की तीन दिवसीय वितरण व्यवस्था लागू है । इसके तहत तीन दिन में विक्रय राशि बैंक में जमा हो जाती है और हानि की कोई संभावना नहीं है । किसी भी संस्था को हानि होने की स्थिति में शासन स्तर से पर्याप्त क्षतिपूर्ति राशि देने और कैरोसिन भंडार हेतु टेंकर व ड्रम नि:शुल्क प्रदान करने का प्रावधान है ।
कलेक्टर ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली गरीबों को सुगमता से खाद्यान्न उपलब्ध कराने की महती योजना है और इसका संचालन निजी व्यक्तियों से कराया जाना संभव नहीं है । किसी भी संस्था को इस महती योजना के संचालन से केवल उसकी अनिच्छा और अरूचि के कारण मुक्त नहीं किया जा सकता ।
संजय गुप्ता(मांडिल) मुरैना ब्यूरो चीफ मुरैना 21 मार्च 08/ कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने वृहत्ताकार प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था, जरेरूआ के अध्यक्ष एवं प्रबंधक श्री दशरथ सिंह के सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्य को छोड़ने संबंधी आवेदन को जनहित में स्वीकार योग्य नहीं होने के कारण निरस्त कर दिया है और संस्था को पूर्व की भांति सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कार्य सुचारू रूप से संपादित करने के आदेश दिए हैं ।
न्यायालय कलेक्टर द्वारा यह आदेश उच्च न्यायालय खंड पीठ ग्वालियर के निर्देशों के परिपालन में जारी किया गया है । उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देकर प्रकरण में विधिसम्मत कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे । कलेक्टर न्यायालय को याचिकाकर्ता ने अभिभाषक के माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्य से हानि होने संबंधी कथन प्रस्तुत किया था ।
म.प्र. (खाद्य पदार्थ ) सार्वजनिक नागरिक पूर्ति वितरण स्कीम 1991 के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कार्य केवल सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही कराने के निर्देश हैं । लेकिन उक्त संस्था ने षडयंत्र पूर्ण ढंग से कार्य छोड़ने का आवेदन प्रस्तुत किया और हानि के संबंध में कोई भी तथ्य प्रस्तुत नहीं किये । जिले में माह सितम्बर 07 से खाद्यान्न, शक्कर और कैरोसिन की तीन दिवसीय वितरण व्यवस्था लागू है । इसके तहत तीन दिन में विक्रय राशि बैंक में जमा हो जाती है और हानि की कोई संभावना नहीं है । किसी भी संस्था को हानि होने की स्थिति में शासन स्तर से पर्याप्त क्षतिपूर्ति राशि देने और कैरोसिन भंडार हेतु टेंकर व ड्रम नि:शुल्क प्रदान करने का प्रावधान है ।
कलेक्टर ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली गरीबों को सुगमता से खाद्यान्न उपलब्ध कराने की महती योजना है और इसका संचालन निजी व्यक्तियों से कराया जाना संभव नहीं है । किसी भी संस्था को इस महती योजना के संचालन से केवल उसकी अनिच्छा और अरूचि के कारण मुक्त नहीं किया जा सकता ।
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