धान के लिए दिया जायेगा आठ हजार हेक्टेयर में सिंचाई पानी
धान के लिए दिया जायेगा आठ हजार हेक्टेयर में सिंचाई पानी
संभागायुक्त की अध्यक्षता में निगरानी समिति की बैठक सम्पन्न
संजय गुप्ता(मांडिल)मुरैना ब्यूरो चीफ मुरैना 27 जून 08/ खरीफ मौसम में धान की फसल के लिए कोतवाल और पिलौआ बांध से 8 हजार हेक्टयर क्षेत्र को सिंचाई पानी दिया जायेगा । पगारा बांध का पानी रबी मौसम के लिए सुरक्षित रखा जायेगा । यह निर्णय आज संभागायुक्त श्री एस.डी. अग्रवाल की अध्यक्षता में सम्पन्न चम्बल संभाग के अन्तर्गत निर्मित एक निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं के डाउन स्ट्रीम क्षेत्रों में जल - निकासी - सूचना एवं चेतावनी प्रणाली तंत्र स्थापित करने हेतु गठित संभाग स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में लिया गया । बैठक में मुख्य अभियंता जल संसाधन श्री राजन श्रीवास्तव, कलेक्टर मुरैना श्री रामकिंकर गुप्ता, कलेक्टर श्योपुर श्री शोभित जैेन, कलेक्टर भिण्ड श्री सुहेल अली, तथा उप संचालक कृषि और कार्यपालन यंत्री जल संसाधन , डी.सी.आर श्री आर.सी. मिश्रा और डी.सी.डी श्री भगवानदास उपस्थित थे ।
बैठक में बताया गया कि श्योपुर भिण्ड और मुरैना जिले को चम्बल नहर प्रणाली के माध्यम से सिंचाई पानी दिया जाता है । पिछले कई वर्षों से नहरों के जीर्णशीर्ण हो जाने से खरीफ में सिंचाई पानी नहीं दिया जा रहा है । विश्व बैंक की सहायता से नहरों के सुद्रढ़ीकरण का कार्य कराया जा रहा है, जो आगामी तीन साल में पूरा हो जायेगा । अभी हाल ही में हुई वर्षा के पानी से कोतवाल, पगारा और पिलौआ बांध 75 प्रतिशत भर गये हैं । खरीफ में धान के लिए कोतवाल और पिलौआ से 8 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई पानी दिया जा सकता है । भिण्ड में 5 हजार, श्योपुर में साढ़े तीन हजार और मुरैना में 3 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लिया जाना प्रस्तावित है । संभाग में 130 माइनर टेंक के माध्यम से भी सिंचाई हेतु पानी दिया जा सकता है ।
संभागायुक्त श्री अग्रवाल ने बाढ़ एवं अतिवृष्टि से बचाव हेतु सभी आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए । उन्होंने कहा कि जल संसाधन विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों के कार्यालयों में बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ का गठन किया जाय । प्रमुख नदियों में जल स्तर बढ़ने पर उसकी सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों को उपलब्ध कराई जाय । बडे बांधों पर गोताखोर तैराक और नाव आदि सुरक्षा उपकरणों की जानकारी की सूची तैयार कर कलेक्टर को उपलब्ध कराई जाय। नदियों में पानी छोड़ने की पूर्व सूचना दी जाय । पुल एवं रपटों पर लोक निर्माण विभाग द्वारा बोर्ड लगाकर आवश्यक दिशा- निर्देश लिखे जाय । जिन गांवों में बाढ़ आने का पूर्व इतिहास रहा हो, उन्हे चिन्हित कर बाढ़ से सुरक्षा के समस्त उपायों की जानकारी ग्रामीणों को दी जाय । वर्षा काल में उपयंत्रियों की मुख्यालय पर उपस्थिति सुनिश्चित की जाय और जलाशय की निगरानी हेतु उनकी डयूटी लगाई जाय ।
संभागायुक्त की अध्यक्षता में निगरानी समिति की बैठक सम्पन्न
संजय गुप्ता(मांडिल)मुरैना ब्यूरो चीफ मुरैना 27 जून 08/ खरीफ मौसम में धान की फसल के लिए कोतवाल और पिलौआ बांध से 8 हजार हेक्टयर क्षेत्र को सिंचाई पानी दिया जायेगा । पगारा बांध का पानी रबी मौसम के लिए सुरक्षित रखा जायेगा । यह निर्णय आज संभागायुक्त श्री एस.डी. अग्रवाल की अध्यक्षता में सम्पन्न चम्बल संभाग के अन्तर्गत निर्मित एक निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं के डाउन स्ट्रीम क्षेत्रों में जल - निकासी - सूचना एवं चेतावनी प्रणाली तंत्र स्थापित करने हेतु गठित संभाग स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में लिया गया । बैठक में मुख्य अभियंता जल संसाधन श्री राजन श्रीवास्तव, कलेक्टर मुरैना श्री रामकिंकर गुप्ता, कलेक्टर श्योपुर श्री शोभित जैेन, कलेक्टर भिण्ड श्री सुहेल अली, तथा उप संचालक कृषि और कार्यपालन यंत्री जल संसाधन , डी.सी.आर श्री आर.सी. मिश्रा और डी.सी.डी श्री भगवानदास उपस्थित थे ।
बैठक में बताया गया कि श्योपुर भिण्ड और मुरैना जिले को चम्बल नहर प्रणाली के माध्यम से सिंचाई पानी दिया जाता है । पिछले कई वर्षों से नहरों के जीर्णशीर्ण हो जाने से खरीफ में सिंचाई पानी नहीं दिया जा रहा है । विश्व बैंक की सहायता से नहरों के सुद्रढ़ीकरण का कार्य कराया जा रहा है, जो आगामी तीन साल में पूरा हो जायेगा । अभी हाल ही में हुई वर्षा के पानी से कोतवाल, पगारा और पिलौआ बांध 75 प्रतिशत भर गये हैं । खरीफ में धान के लिए कोतवाल और पिलौआ से 8 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई पानी दिया जा सकता है । भिण्ड में 5 हजार, श्योपुर में साढ़े तीन हजार और मुरैना में 3 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लिया जाना प्रस्तावित है । संभाग में 130 माइनर टेंक के माध्यम से भी सिंचाई हेतु पानी दिया जा सकता है ।
संभागायुक्त श्री अग्रवाल ने बाढ़ एवं अतिवृष्टि से बचाव हेतु सभी आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए । उन्होंने कहा कि जल संसाधन विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों के कार्यालयों में बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ का गठन किया जाय । प्रमुख नदियों में जल स्तर बढ़ने पर उसकी सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों को उपलब्ध कराई जाय । बडे बांधों पर गोताखोर तैराक और नाव आदि सुरक्षा उपकरणों की जानकारी की सूची तैयार कर कलेक्टर को उपलब्ध कराई जाय। नदियों में पानी छोड़ने की पूर्व सूचना दी जाय । पुल एवं रपटों पर लोक निर्माण विभाग द्वारा बोर्ड लगाकर आवश्यक दिशा- निर्देश लिखे जाय । जिन गांवों में बाढ़ आने का पूर्व इतिहास रहा हो, उन्हे चिन्हित कर बाढ़ से सुरक्षा के समस्त उपायों की जानकारी ग्रामीणों को दी जाय । वर्षा काल में उपयंत्रियों की मुख्यालय पर उपस्थिति सुनिश्चित की जाय और जलाशय की निगरानी हेतु उनकी डयूटी लगाई जाय ।
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