जनता को पांच साल का हिसाब देना होगा रुस्तम को
जनता को पांच साल का हिसाब देना होगा रुस्तम को
- वादें तो किये पर निभाए नहीं
- शिलान्यास के सिवाय कुछ नही किया
संजय गुप्ता(मांडिल) मुरैना ब्यूरो चीफ
मुरैना, 7 नवम्बर। भारतीय जनता पार्टी के मुरैना विधानसभा उम्मीदवार रुस्तम सिंह एक बार फिर से चुनावी मैदान में जौर आजमाईश कर रहे हैं। पूर्व चुनाव में उन्होंने विजय प्राप्त की थी, तब माहौल कांग्रेस के खिलाफ था सो वह भारतीय जनता पार्टी लहर में आसानी से चुनाव जीतकर मुरेना के विधायक बन थे। चुनावी समय में उन्होंने ने इस शहर को सैकड़ो वादे किये जिसमें उन्होंने मुरैना विधानसभा को भयमुक्त का नारा दिया था, उन्होंने अपने वादे को कितना निभाया जनता जानती है। शहर में आपराधिक गतिविधिया लगातार बढ़ती चली गई आमजन अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगा। यही ग्रामीण इलाकों में हालात जस के तस हैं। पिछले चुनाव में आईजी पद से इस्तीफा देकर मुरैना में नए चेहरे के रुप में चुनावी मैदान में उतरे रुस्तम सिंह को जनता पहचानती नहीं थी, लेकिन जनता ने सिर आखों पर बैठाकर उन्हें मुरैना से विधायक बनवाया। इसके बाद रुस्तम सिंह प्रदेश में बनने वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार की सरकार में मंत्री भी बने। मंत्री के रुप में उन्होंने सबसे पहले खेल एवं युवक कल्याण विभाग का जिम्मा संभाला। लेकिन मंत्री ने खेल के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं दिया। इसके बाद उन्होन पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री का दायित्व संभाला इस विभाग को संभालने के बाद जिले में कोई उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं मिल सकी। बाद में शहर के नाला नं. - 2 को पाटने का बीड़ा उठाया वह नाला नं. - 2 का कार्य इतनी धीमी गति से चला कि रुस्तम सिंह इस पर राजनीति कर ये कह सके कि मुझे अभी पांच बर्ष ओ लगेंगे नाला पटवानें और सड़क डलवाने में। लेकिन नाला नं. - 2 के आ पास के वाशिन्दों का जीना दुभर हो गया है। अधुरे पडे नाले का निर्माण भगवान ही जाने कब होना। नाले के किनारे रहने वाले वाशिदों में रुस्तम सिंह के खिलाफ भारी आक्रोश फैला हुआ है। यही हालत शहर की वनखण्डी रोड के वाशिंदों की है। यहां के वाशिदें पूरे पांच साल रुस्तम सिंह के यहां चक्कर लगाते रहे। उन को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। पांच बर्ष से यही सुनते आ रहे है कि पैसा आ गया है, लेकिन निर्माण कब होगा ये किसी को नहीं मालूम। वनखण्डी महादेव के निवासियों की जिदंगी इस सड़क के न बनने से नारकीय जीवन जीने का मजबूर है। ऐसे कई काम है जिन्हें जनता से वादा किया लेकिन सैकड़ो वादे अधूरे रहे गए। शायद उन को इस उम्मीद से छोड़ दिया गया होगा कि जनता उन्हें अगले पांच साल का मौका और देगी। लेकिन अब जनता सब समझ चुकी है। रुस्तम सिंह स्वास्थ्य मंत्री रहे लकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कोई काम इस क्षेत्र में नजर नहीं आता है। पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री के रुप में वह क्षेत्र में विछा सड़कों का जाल अपना विकास कार्य वहा रहे। लेकिन हकीकत में वह केन्द्र के पैसे से अपनी पीठ ठोकर अपने मुह मिया मिट्ठू बने हुये हैं। जन सम्पर्क में शहरी मतदाता उन्होंने विल्कुल भी तबज्जों नहीं दे रहे है। वैश्य वर्ग उन से पहिले रुठा बैठा है। गुर्जर समाज भी इस बार उन से भितरघात कर सकता है। इस चुनाव जमीनी हकीकत से वाकिफ होते है। रुस्तम सिंह के पसीने छूटने लगेंगें। शिवराज सरकार के पांच बर्षो के कार्यकाल पर वोट मांगने निकले रुस्तम सिंह को जल्दी हकीकत सामने आ गई, केवल घोषणा सरकार रही भाजपा जनता को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मंचों से घोषणा तो बहुत की मगर काम नही हुए यही हाल रुस्तम सिंह का इस क्षेंत्र में रहा। उन्होंने शिलान्यास तो बहुत किये है, मगर निर्माण कार्य कही नहीं हुए इस बार जनता सब जानती हैं। कि हमें क्या करना है।
- वादें तो किये पर निभाए नहीं
- शिलान्यास के सिवाय कुछ नही किया
संजय गुप्ता(मांडिल) मुरैना ब्यूरो चीफ
मुरैना, 7 नवम्बर। भारतीय जनता पार्टी के मुरैना विधानसभा उम्मीदवार रुस्तम सिंह एक बार फिर से चुनावी मैदान में जौर आजमाईश कर रहे हैं। पूर्व चुनाव में उन्होंने विजय प्राप्त की थी, तब माहौल कांग्रेस के खिलाफ था सो वह भारतीय जनता पार्टी लहर में आसानी से चुनाव जीतकर मुरेना के विधायक बन थे। चुनावी समय में उन्होंने ने इस शहर को सैकड़ो वादे किये जिसमें उन्होंने मुरैना विधानसभा को भयमुक्त का नारा दिया था, उन्होंने अपने वादे को कितना निभाया जनता जानती है। शहर में आपराधिक गतिविधिया लगातार बढ़ती चली गई आमजन अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगा। यही ग्रामीण इलाकों में हालात जस के तस हैं। पिछले चुनाव में आईजी पद से इस्तीफा देकर मुरैना में नए चेहरे के रुप में चुनावी मैदान में उतरे रुस्तम सिंह को जनता पहचानती नहीं थी, लेकिन जनता ने सिर आखों पर बैठाकर उन्हें मुरैना से विधायक बनवाया। इसके बाद रुस्तम सिंह प्रदेश में बनने वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार की सरकार में मंत्री भी बने। मंत्री के रुप में उन्होंने सबसे पहले खेल एवं युवक कल्याण विभाग का जिम्मा संभाला। लेकिन मंत्री ने खेल के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं दिया। इसके बाद उन्होन पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री का दायित्व संभाला इस विभाग को संभालने के बाद जिले में कोई उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं मिल सकी। बाद में शहर के नाला नं. - 2 को पाटने का बीड़ा उठाया वह नाला नं. - 2 का कार्य इतनी धीमी गति से चला कि रुस्तम सिंह इस पर राजनीति कर ये कह सके कि मुझे अभी पांच बर्ष ओ लगेंगे नाला पटवानें और सड़क डलवाने में। लेकिन नाला नं. - 2 के आ पास के वाशिन्दों का जीना दुभर हो गया है। अधुरे पडे नाले का निर्माण भगवान ही जाने कब होना। नाले के किनारे रहने वाले वाशिदों में रुस्तम सिंह के खिलाफ भारी आक्रोश फैला हुआ है। यही हालत शहर की वनखण्डी रोड के वाशिंदों की है। यहां के वाशिदें पूरे पांच साल रुस्तम सिंह के यहां चक्कर लगाते रहे। उन को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। पांच बर्ष से यही सुनते आ रहे है कि पैसा आ गया है, लेकिन निर्माण कब होगा ये किसी को नहीं मालूम। वनखण्डी महादेव के निवासियों की जिदंगी इस सड़क के न बनने से नारकीय जीवन जीने का मजबूर है। ऐसे कई काम है जिन्हें जनता से वादा किया लेकिन सैकड़ो वादे अधूरे रहे गए। शायद उन को इस उम्मीद से छोड़ दिया गया होगा कि जनता उन्हें अगले पांच साल का मौका और देगी। लेकिन अब जनता सब समझ चुकी है। रुस्तम सिंह स्वास्थ्य मंत्री रहे लकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कोई काम इस क्षेत्र में नजर नहीं आता है। पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री के रुप में वह क्षेत्र में विछा सड़कों का जाल अपना विकास कार्य वहा रहे। लेकिन हकीकत में वह केन्द्र के पैसे से अपनी पीठ ठोकर अपने मुह मिया मिट्ठू बने हुये हैं। जन सम्पर्क में शहरी मतदाता उन्होंने विल्कुल भी तबज्जों नहीं दे रहे है। वैश्य वर्ग उन से पहिले रुठा बैठा है। गुर्जर समाज भी इस बार उन से भितरघात कर सकता है। इस चुनाव जमीनी हकीकत से वाकिफ होते है। रुस्तम सिंह के पसीने छूटने लगेंगें। शिवराज सरकार के पांच बर्षो के कार्यकाल पर वोट मांगने निकले रुस्तम सिंह को जल्दी हकीकत सामने आ गई, केवल घोषणा सरकार रही भाजपा जनता को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मंचों से घोषणा तो बहुत की मगर काम नही हुए यही हाल रुस्तम सिंह का इस क्षेंत्र में रहा। उन्होंने शिलान्यास तो बहुत किये है, मगर निर्माण कार्य कही नहीं हुए इस बार जनता सब जानती हैं। कि हमें क्या करना है।
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