पहुंच, गुणवत्ता और समानता उच्च शिक्षा में नई पहल के केन्द्रबिंदु
पहुंच, गुणवत्ता और समानता उच्च शिक्षा में नई पहल के केन्द्रबिंदु
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक आयोजित
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति की आज यहां हुई बैठक के अनुसार पहुंच, समानता और गुणवत्ता को उच्च शिक्षा में नई पहल का केन्द्रबिंदु बनाया गया है । मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में उच्च शिक्षा क्षेत्र में 11वीं योजना के दौरान नये कदमों पर विचार विमर्श किया गया । मानव संसाधन विकास मंत्री ने सदस्यों को मंत्रालय के प्रस्तावों के बारे में जानकारी दी । इन प्रस्तावों पर योजना आयोग की पूर्ण बैठक में विचार विमर्श हुआ। श्री सिंह ने कहा कि योजना आयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद की औपचारिक मंजूरी के बाद ही ये प्रस्ताव कार्यान््वयन के लिए तैयार होंगे । सदस्यों को बताया गया कि तकनीकी शिक्षा सहित उच्च शिक्षा के लिए 10वीं योजना में लगभग 9500 करोड़ रूपये का परिव्यय रखा गया था । मंत्रालय को आशा है कि उसके केन्द्रीय योजना प्रस्तावों के लिए कई गुना ज्यादा योजना परिव्यय प्राप्त होगा ।
11वीं योजना का उद्देश्य उच्च शिक्षा में सकल दाखिला अनुपात को मौजूदा 10 प्रतिशत से बढाक़र 2012 तक 15 प्रतिशत करना है और साथ ही गुणवत्ता में सुधार तथा समानता में वृध्दि करना भी इसका उद्देश्य है । बैठक में यह माना गया कि राज्यों का योजना परिव्यय केन्द्रीय योजना परिव्यय का लगभग चार गुना है इसलिए योजना उद्देश्यों को प्रापत करने के लिए राज्यों को साथ लेकर चलना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा । मंत्रालय के 11वी योजना के प्रस्ताव में तदनुसार राज्यों के लिए प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है ताकि राज्य कालेजों और विश्वविद्यालयों को ज्यादा साधन आवंटित करें । प्रस्ताव में कम सकल दाखिला अनुपात तथा प्रति एक लाख आबादी पर 4 से कम कालेज वाले 370 जिलों में उत्कृष्ट कालेजों की स्थापना की व्यवस्था भी है । इसमें अल्पसंख्यक बहुल वाले 88 जिलों में संस्थानों को विशेष सहायता, दाखिले में बालकबालिका अंतर को दूर करने के लिए महिला छात्रावासों की स्थापना के लिए पर्याप्त आबंटन, 30 नये केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना के जरिए क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने का भी प्रावधान है । इन 30 नये केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से 16 विश्वविद्यालय उन राज्यों में स्थापित किए जाएंगे जहां फिलहाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय नहीं हैं ।
सदस्यों को बताया गया कि केन्द्र सरकार ने राज्स सरकार से नये केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए वैकल्पिक स्थानों का सुझाव देने का आग्रह किया है और मंत्रालय योजना आयोग तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के परामर्श से विश्वस्तर के विश्वविद्यालयों की संकल्पना तैयार कर रहा है । मंत्रालय के प्रस्ताव में राज्य विश्वविद्यालय और कालेजों को ज्यादा सहायता तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से लगभग 150 राज्य विश्वविद्यालय तथा 6000 कालेजों को सहायता शामिल है । इन विश्वविद्यालय तथा कालेजों को फिलहाल यूजीसी से सहायता नहीं मिल रही हे । प्रस्ताव में राष्ट्रीय मूल्यांकन तथा प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) द्वारा पता लगाई गई खामियों को दूर करने का भी प्रावधान है । समिति को बताया गया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय जैसे नये संस्थानों के गठन का भी प्रस्ताव है । इसके लिए एक विधेयक संसद में पेश किया जा चुका है । समिति को श्रमिकों की तकनीकी यूनिवर्सिटी के प्रस्ताव, सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में चिकित्सा तथा इंजीनियरी संकायों की शुरूआत ,नये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना का प्रस्ताव, नये भारतीय विज्ञान शिक्षा तथा अनुसंधान संस्थान, नियोजन तथा वास्तुविद स्कूलों की स्थापना के प्रस्तावों की भी जानकारी दी गई ।
तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नयी पहल में यथोचित मानकों के आधार पर चुने गए 200 राज्य तकनीकी संस्थानों के विस्तार तथा उन्नयन, केन्द्र द्वारा वित्तपोषित संस्थानों (आईआईटी, आईआईएम, एनआईआईटी,आईआईआईटी और एनआईटीटीआरएस) संस्थानों का विस्तार, एमबीए की बढती मांग और आईआईएम संस्थानों की सीमित क्षमता तथा दसवीं योजना में नये संस्थानों (8 आईआईटी, 7 आईआईएम, 5 आईआईएसईआर, 2 एसपीए, 10 एनआईटी,20 आईआईआईटी तथा अग्रणी क्षेत्रों में 50 प्रशिक्षण तथा अनुसंधान केन्द्र) की स्थापना को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रणाली में प्रबंध तथा व्यवसाय प्रशासन के विभागोंसंस्थानों को मजबूत करना शामिल है साथ ही इसमें मौजूदा आईआईटी और आईआईएम संस्थानों की क्षमता 200 प्रतिशत से ज्यादा बढाना भी शामिल है ।
पोलीटेक्नीक शिक्षा का उद्देश्य फील्ड कार्यों में कुशल श्रमशक्ति का निर्माण करना है । इसका उद्देश्य पोलीटेक्नीक संस्थानों की क्षमता में विस्तार करना भी है । देश के पोलीटेक्नीक संस्थानों की मौजूदा दाखिला क्षमता लगभग 2.5 लाख है जबकि डिग्री स्तर के इंजीनियरी पाठयक्रमों की क्षमता 6 लाख है । हालांकि 6 लाख इंजीनियरों पर डिप्लोमा पाठयक्रमों की क्षमता 20 लाख से ऊपर होनी चाहिए । इसलिए मंत्रालय का प्रस्ताव है कि 11वीं योजना में लगभग 1000 नये पोलीटेक्नीक संस्थान (300 राज्य सरकारों द्वारा, 300 सार्वजनिक-निजी भागीदारी द्वारा और 400 निजी क्षेत्रों द्वारा) खोले जाएं इससे पोलीटेक्नीक संस्थानों की दाखिला क्षमता में लगभग 2 लाख सीटें और जुड़ जाएंगी ।
मुक्त तथा दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के बारे में समिति को बताया गया कि सरकार राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के जरिए राष्ट्रीय महत्व और उत्कृष्टता के 375 से ज्यादा विश्वविद्यालयों और लगभग 18600 महाविद्यालयों को ब्रॉड बैंड के माध्यम से जोड़ने का इरादा रखती है ताकि इन्हें ई -शिक्षण सामग्रा उपलब्ध कराई जा सके । उदाहरण के तौर पर समिति को बताया गया कि आईआईटी और भारतीय विज्ञान संस्थान,बंगलौर की सहायता से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संवर्धन अधिगम परियोजना (एनपीटीईएल) के जरिए तैयार किए गए 150 पाठयक्रमों की ई-विषयवस्तु सभी संस्थानों को मुपऊत उपलब्ध कराई जा चुकी है।
सदस्यों ने सरकार के इन कदमों की सराहना की और कहा कि इन कदमों को लागू करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत शिक्षा क्षेत्र को आबंटित किया जाना चाहिए तथा साथ ही राज्य सरकारों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए । सदस्यों ने शिक्षण के साथ-साथ अर्जन स्कीम को लोकप्रिय बनाने, शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के कालेजों के बीच गुणवत्ता के अंतर को दूर करने तथा यूजीसी द्वारा वित्तपोषण की अपनी स्कीम की समीक्षा करने आदि के सुझाव भी दिए ।
बैठक में लोकसभा से सर्वश्री चिंता मोहन, बालासाहेब विखे पाटिल, राजेन्द्र सिंह जी. राणा, डा0 वल्लभभाई कथीरिया, कुमारी भावना पी गावली, श्री हरिभाऊ जावले और श्री बाबू लाल मरांडी तथा राज्यसभा से श्री राशिद अल्वी, प्रो0 पी जे कुरियन, सुश्री कानिमोझी, श्री कृष्ण लाल बाल्मीकि और डा0 राम प्रकाश ने भाग लिया ।
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