सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिये शहरी विकास में निवेश के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करें: प्रधानमंत्री

सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिये शहरी विकास में निवेश के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करें: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह ने आज यहां जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के बारे में राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर दिए गए प्रधानमंत्री के सम्बोधन का पाठ इस प्रकार है:-
''जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के बारे में स्थानीय निकायों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के इस राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर उपस्थित होना मेरे लिए खुशी की बात है। इस सम्मेलन का प्रयोजन इस दिशा में 22 महीने पहले शुरू किए गए कार्यों की समीक्षा करना है। मैं शहरी विकास मंत्री श्री जयपाल रेड्डीजी और आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री सुश्री शैलजाजी को इस बात के लिए बधाई देता हॅू कि उन्होंने देश में शहरों का कायापलट करने के लिए शुरू किए गए इस बड़े उपाय का नेतृत्व किया है।

     सबसे पहले मैं कहना चाहता हॅू कि देश के शहरों की स्थिति में सुधार के व्यवस्थित प्रयासों की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। अब यह नहीं कहा जा सकता कि भारत सिर्फ गांवों में ही बसता है बल्कि दिन व दिन छोटे कस्बों और बड़े शहरों में भी लोग आते जा रहे हैं। आर्थिक विकास की प्रक्रिया ने हमारे शहरों में नाटकीय परिवर्तन किए हैं। शहर हमारी अर्थ-व्यवस्था के विकास के प्रमुख इंजन बन गए हैं क्योंकि वहां अभूतपूर्व अवसर पैदा हुए हैं।

     लेकिन इसके साथ ही तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने अपने तरह के समस्याएं भी पैदा की है। हमारी शहरी आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी दयनीय स्थितियों में तंग बस्तियों में रह रहा है। शहरों में मकानों की स्थिति अच्छी नहीं रही है, खासकर गरीबों के लिए मकानों की मांग और आपूर्ति के बीच अंतराल बना हुआ है। 30 प्रतिशत शहरी परिवार केवल एक कमरे के मकान में रह रहे हैं। इससे सामाजिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो रही है। छोटे बच्चों की शिक्षा पर भी इस स्थिति का दुष्प्रभाव पड़ता है। नागरिक सेवाओं और बुनियादी सुविधाओं की मांग तेजी से बढ़ी है।

     इसलिए हमें इस परिवर्तन के अनुकूल उपाय करने की आवश्यकता है ताकि शहरी सेवाओं में सुधार लाया जा सके, शहरी ढांचे का निर्माण किया जा सके और स्थिति की जरूरतों के अनुसार सार्वजनिक प्रशासन प्रणालियों को भी उन्नत बनाया जा सके।

     जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन प्रारंभ होने के बाद से इस कार्यक्रम में देश भर में शहरों के कायापलट के लिए कार्य सूची तय की है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत एक समान दृष्टिकोण और नीति अपनाई गयी जिससे सभी सम्बध्द पक्षों को शामिल करके एक संयुक्त ढांचे का निर्माण किया गया। हमारी यह नीति रही है कि शहरी क्षेत्र के सुधारों को तेजी से लागू किया जाय। इन सुधारों को शहरी ढांचे के लिए बड़े पैमाने पर अपेक्षित पूंजी निवेश के साथ जोड़ने की हमारी नीति का व्यापक स्वागत हुआ है। मुझे पूरी उम्मीद है कि राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन हमारे देश में शहरीकरण को पारिस्थितिकी की दृष्टि से स्थिरता प्रदान करने, आर्थिक दृष्टि से उत्पादकता को बढ़ावा देने और सामाजिक दृष्टि से समानता लाने में सहायक सिध्द होगा। 

     मैं यहां उपस्थित दोनों मंत्रियों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों तथा नगर निगमों के महापौरों की इस बात के लिए सराहना करता हॅू कि उन्होंने बड़े उत्साह के साथ इस उपाय को आगे बढ़ाया है। 63 शहर पहले ही अपनी ''शहर विकास योजनाएं'' विकसित कर चुके हैं और वे धन हासिल करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया में है।

      इन योजनाओं में रचनात्मक विशेषता यह रही है कि निवेश का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा जलापूर्ति, स्वच्छता और सीवर व्यवस्था जैसी अनिवार्य बुनियादी सेवाओं में सुधार के लिए तय किया गया है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन बस्तियों में बुनियादी सेवाओं का नितांत अभाव है, वहां नए निवेश का अधिकतम हिस्सा प्रस्तावित किया जाये। मैं स्थानीय निकायों और राज्य सरकारों से अपील करता हॅू कि वे इस क्षेत्र को वरीयता दें और सुनिश्चित करें कि ऐसे समग्र शहरों का विकास हो, जहां प्रत्येक नागरिक बुनियादी सेवाएं पाने का हकदार हो।

      हम सभी इस बात से सहमत हैं कि प्रशासनिक सुधार शहरी नवीकरण का आधार स्तम्भ है। इन सुधारों के जरिये निवेश की दीर्घावधि स्थिरता और पारदर्शिता तथा शहरी आयोजना और विकास में जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए । इस तरह निवेश और सुधार के बीच गहरा सम्बन्ध है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में भी यही दृष्टिकोण अपनाया जायेगा, जिससे जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन को मजबूती मिलेगी। हमारी सरकार इस काम के लिए राज्यों और शहरों को अपेक्षित बजटीय सहायता उपलब्ध कराने के प्रति वचनबध्द है।

     मैं राज्य और स्थानीय सरकारों से अपील करता हॅू कि वे इन सुधारों के कार्यान्वयन में शीघ्रता लाएं ताकि मिशन के लक्ष्य निर्दिष्ट अवधि के भीतर हासिल किए जा सके। उदाहरण के लिए शहरी स्थानीय निकायों की वित्त व्यवस्था में सुधार से सम्बन्धित उपाय इस मिशन के पहले तीन वर्ष की अवधि में पूरे किए जाने चाहिए। इससे ये संस्थाएं अधिक सक्षम बन सकेंगी और उन्हें संस्थागत वित्त हासिल करने का पात्र बनाया जा सकेगा। हम राज्यों और शहरों को अधिक प्रोत्साहन देने पर विचार कर रहे है ताकि सुधारों को तेजी से के साथ लागू किया जा सके।

     मैं अपनी सरकार के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की प्रगति की निरंतर समीक्षा अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ करता रहा हॅू। हमने महसूस किया है कि इस कार्यक्रम को लागू करने की प्रगति विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रही है। कुछ राज्यों में अच्छा काम हुआ है तो कुछ अन्य पीछे चल रहे हैं। जो शहर पिछड़ जायेंगे, उनके लिए गति बनाए रखना दिन व दिन कठिन हो जायेगा। समय महत्वपूर्ण है, इसलिए मैं राज्यों से अपील करता हॅू कि वे दो केन्द्रीय मंत्रियों के साथ मिलकर काम करें ताकि शीघ्र कार्यान्वयन पर निगरानी रखी जा सके और उसे सुनिश्चित किया जा सके।

     एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के लिए धन में बढ़ोतरी से सम्बध्द है। सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गयी 50 हजार करोड़ रुपये की राशि इस कार्यक्रम के अंतर्गत शहरों और कस्बों की बुनियादी ढांचा निवेश की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए राज्यों को भी धन जुटाना होगा। उन्हें बाजार से अधिक धन उगाहना होगा। ऐसा करने के लिए हमें परियोजनाओं की गुणवत्ता और शहरी निकायों की राजकोषीय स्थिति में अवश्य सुधार करना होगा।

     सार्वजनिक- निजी भागीदारी के जरिये शहरी विकास में निवेश के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा सकता है। शहरी ढांचा और सेवाएं तथा कम लागत के आवास उपलब्ध कराने से ऐसी भागीदारी की संभावनाएं बढ़ाई जा सकती है। राज्य सरकारों और शहरों को निजी क्षेत्र के लिए सक्षम वातावरण अवश्य उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि उसे आकर्षित किया जा सके और देश में सार्वजनिक-निजी भागीदारी का आधार तैयार किया जा सके।

     हमें स्थानीय निकायों में क्षमता निर्माण के तत्काल उपाय करने की आवश्यकता है ताकि उन्हें परियोजनाओं के डिजाइन तैयार करने, सुधारों को लागू करने और पर्याप्त संसाधन जुटाने में सक्षम बनाया जा सके। शहरी स्थानीय निकायों को कारगर बनाने की दिशा में स्वर्गीय राजीव गांधी ने 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से एक बड़ी पहल की थी, किन्तु व्यवहार में यह देखा गया है कि आर्थिक और सामाजिक आयोजना को अंजाम देने तथा गरीबी, पर्यावरण आदि मुद्दों के समाधान की उनकी क्षमता सीमित है। इसे अवश्य बढ़ाना होगा और बेहतरी के लिए स्थिति में परिवर्तन लाना होगा।

जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के अंतर्गत इन स्थानीय निकायों से उम्मीद की जाती है कि वे भागीदारी निभाये, पारदर्शिता बरते और उनकी जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। इन सभी चुनौतियों को पूरा करने के लिए प्रबंधन के मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने और शहरी प्रबंधन संस्थानों की मानव पूंजी बढ़ाने की आवश्यकता है। राज्य सरकारों को चाहिए कि वे शहरी प्रबंधन के व्यवसायीकरण के लिए नए उपाय करें।

वास्तव में यह शहरी निवासियों का दायित्व है कि वे स्वयं आगे आएं और इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम पर अमल की जिम्मेदारी लें। हमारे शहरों और कस्बों में बड़ी संख्या में ऐसे प्रतिभाशाली व्यवसायी हैं, जो नागरिक सुविधाओं की दृष्टि से विशेषज्ञ हैं। इन बहुमूल्य मानव संसाधनों का दोहन करने के लिए मिशन के अंतर्गत शहरी स्थानीय निकायों के लिए ''स्वयंसेवी तकनीकी समूह'' बनाने का उपयुक्त सुझाव दिया गया है। मुझे विश्वास है कि सही अवसर प्रदान करने से लाभार्थी स्वयं अपने शहरों को बेहतर बनाने के लिए समय और विशेषज्ञता का योगदान करेंगे।

मिशन के अंतर्गत आने वाले बड़े शहरों की जरूरतें पूरी करने के अलावा हमें मिशन से इत्र शहरों और कस्बों में भी बुनियादी सेवाओं में सुधार पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। छोटे और मध्यम आकार के शहरों ने जो रूचि प्रदर्शित की है, उसे देखते हुए हमें यह अवश्य समझना होगा कि उनके लिए आवंटित वितीय संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए मैं योजना आयोग से कहूंगा कि वह छोटे और मझोले कस्बों के लिए भी अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराने की व्यवहार्यता पर विचार करे।

एक समय था जब भारत में नीति-निर्माता यह सोचते थे कि हमारा प्रयास शहरों के विकास को सीमित करने और उनमें लोगों का प्रवास रोकने के प्रयास करने चाहिए। आज हमारी नीतियां अधिक युक्तिसंगत है और हमने शहरीकरण को एक अवसर के रूप में देखना शुरू कर दिया है। आने वाले दशक से संबध्द सभी अनुमानों से संकेत मिलता है कि शहरीकरण की प्रक्रिया में तेजी आएगी। अगर हम इस रूपान्तरण को प्रभावकारी ढंग से व्यवस्थित कर पाए तो शहरी भारत का भौतिक और आर्थिक पुनर्निर्माण हमारी पहुंच के भीतर रहेगा।

मेरे विचार में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के रूप में देश के समक्ष एक व्यापक अवसर है जिसका इस्तेमाल जीवंत, समान और समग्र बस्तियों के निर्माण के लिए किया जाना चाहिए। यह कार्य जिम्मेदार और पारदर्शी स्थानीय शासन प्रणालियों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। इसलिए हमें जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के लक्ष्य हासिल करने के लिए एकजुट होकर अधिक उत्साह और शक्ति के साथ काम करने का संकल्प लेना चाहिए। इस तरह मानवीय और सक्षम शहरीकरण का सामान्य लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा। इस मिशन के नेताओं के रूप में, आप जिन शहरों से संबध्द है, उनमें शहरी नवीकरण की इस  नई पहल की सफलता आपकी प्रतिबध्दता और आपके प्रयासों पर निर्भर करेगी।

मैं एक बार फिर आपके प्रयासों की सराहना करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि सम्मेलन में सार्थकता विचार-विमर्श होगा। जयहिन्द।''

 

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