चुनावी मैदान में तीन दिग्गज - गुप्ता, सिंह, गोयल
चुनावी मैदान में तीन दिग्गज - गुप्ता, सिंह, गोयल
भाजपा किस पर लगायेंगी दाव, पर्यवेक्षकों की रायशुमारी शहर से अल्ली अव्वल
संजय गुप्ता(मांडिल) मुरैना ब्यूरो चीफ
मुरैना,10 अक्टूबर। मुरैना विधानसभा के लिए हाल ही में भाजपा के चुनाव पर्यवेक्षकों के सामने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकताओं ने जो वोटिंग करवाई गई उसमें शहरी कार्यकर्ता मतदाताओं ने भाजपा के तीन दिग्गज पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री एवं विधायक रुस्तम सिंह, भाजपा के मण्डल अध्यक्ष अनिल गोयल, और पूर्व विधायक सेवाराम गुप्ता के हक में मतदान किया था। जिसमें सर्वाधिक मत भाजपा के अनिल गोयल उर्फ अल्ली को प्राप्त हुए। इससे साफ संकेत जाता है कि इस बार कार्यकर्ता किसी वेश्य वर्ग के प्रत्याशी को ही अपना उम्मीदवार चुनना पंसद करेगी।
अनिल गोयल को शहरी क्षेत्र से भारी समर्थन प्राप्त हुआ उसके साथ ग्रामीण कार्यकर्ता ने भी उन पर भरोसा जताया हैं। चुनाव समर में जहां भारतीय जनता पार्टी मुरैना विधानसभा पर प्रत्याशी के तौर पर रुस्तम सिंह को ही मानकर चल रही थी लेकिन सेवाराम गुप्ता और अनिल गोयल उर्फ अल्ली के मैदान में आ जाने से संगठन को पुन: विचार करने पर मजबूर कर दिया हैं। मुरैना विधानसभा वैश्य वर्ग की अधिकता और हाल में समाज की मीटिंगो में भी यह बात पुरजोर तरीके से उठी है कि वैश्यों को मौका मिलना चाहिए, इस कड़ी में भारतीय जनता पार्टी के दो वैश्य उम्मीदवार मैदान में है।, सेवाराम गुप्ता पूर्व विधायक मुरैना विधानसभा से रहे चुके है वह दो बार मुरैना विधानसभा से चुने गए है, लेकिन सेवाराम गुप्ता की सुस्तता व ठेकेदारी के व्यवसाय के चलते कार्यकर्ताओ से दूरी पार्टी संगठन व क्षेत्रीय जनता के लिए कार्य कोई ठोस आधार पर नहीं किये। इसके चलते सन! 2004 के चुनाव में पार्टी ने नये उम्मीदवार आईपद से इस्तीफा देकर राजनीति के मैदान में कूदे रुस्तम सिंह की उम्मीदवारी से सेवाराम गुप्ता ने पार्टी निष्ठा त्याग कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़े और चुनाव बुरी तरह से हारे इससे पार्टी में उनकी जगह जाती रही। सन् 2008 के चुनाव में भाजपा से टिकिट की आस लगा रहे सेवाराम अब पार्टी में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे है। कहा जाता है सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते शायद भाजपा हाईकमान सेवाराम पर एक नजर डाल सकती है।
आई जी जैसे भारी भरकम प्रशासनिक पद छोड़कर भाजपा की सक्रिय राजनीति में कदम रख कर सन् 2008 में मुरैना से 15 हजार से अधिक मतों से बहुजन समाज पार्टी के मजबूत प्रत्याशी परशुराम मुदगल को हराकर विधानसभा में पहुचने वाले रुस्तम सिंह अपने पांच साल के विकास कार्यो के दम पर मजबूती से खड़े हुए है। उन्हें विधायक बनने के साथ ही केबिनेट मंत्री का दर्जा मिला सत्ता में जहां तीन मुख्यमंत्री बदले लेकिन लेकिन रुस्तम सिंह सभी की पंसद रहे। उन्होंने समय के साथ राजनीति में खुद को ढाल लिया है। लेकिन अभी भी उनका आई जी बाला लहजा बरकरार है। कार्यकर्ताओं को भी पुलिसियाई लहजे में ही लेते है। हालांकि रुस्तम सिंह का पांच सालों का विकास का ग्राफ बहुत अच्छा रहा है।
हाल ही में युवा दावेदारी में अनिल गोयल उर्फ अल्ली की पार्टी संगठन व सर्वसमाज में काफी अच्छी पकड़ है। भारतीय जनता पार्टी में पन्द्रह बर्षो से सक्रिय अल्ली आज पार्टी संगठन की जान बन चुके है। सर्वप्रथम बसन्धरा राजे के जेल भरो आन्दोलन से जुड़े अल्ली पार्टी के वयोवृध्द नेता जहार सिंह शर्मा के साथ पार्टी मे काम किया। पार्टी पदाधिकारियों के रुप में कोषाध्यक्ष रहे इन्हें पार्टी की तरफ से सन् 2000 में मण्डी डायरेक्टर रहे जहां इन्होने व्यापारियों व किसानों के हितो में कार्य किये। अल्ली के पार्टी सेवा में पार्षद चुनाव 95 में अपनी अल्ली गोयल की छवि ने काम किया। सन् 2004 में स्वयं ने चुनाव में उतर कर पार्षद सीट जीती। नगर पालिका मुरैना के उपाध्यक्ष पद पर काबिज रहते हुए इसे पार्टी व संगठन क्षेत्रीय जनता में नये नेता के रुप में अल्ली गोयल को देखा गया। नगर पालिका के उपाध्यक्ष पद रहते उन्होनें शहर के बीचों बीच दो सुन्दर व भव्य पार्को का निर्माण करवाया। नपा के उपाध्यक्ष पर अल्ली ने शहर वासियों के लिए कई सुविधाजनक कार्य भी करते रहे। सामाजिक क्षेत्र में सन् 1996 में अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन करवाया गया था। सन् 1994 में अग्रवाल युवक - युवती परिचय सम्मेलन में महत्वपूर्ण सहभागिता निभाई थी। अल्ली के दावेदारी क्षेत्र से काफी मजबूत मानी जा रही है। उसका एक कारण ये है कि मुरैना विधायक सम्भव हो की ग्वालियर देहात से चुनाव लड़ने का मन बना रहे है। इससे पार्टी और क्षेत्र में अल्ली की चर्चा जोरों में है। वैश्य मूड को देखते हुए पार्टी किसी भी तरह अपनी सीट को सुरक्षित रखना चाहेगी।
मुरैना विधानसभा पर जहां बहुजन समाज पार्टी ने परशुराम मुदगल पर भरोषा दिखाकर ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकिट दिया है। वहीं कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही अपने पत्ते नहीं खोले है।
भाजपा किस पर लगायेंगी दाव, पर्यवेक्षकों की रायशुमारी शहर से अल्ली अव्वल
संजय गुप्ता(मांडिल) मुरैना ब्यूरो चीफ
मुरैना,10 अक्टूबर। मुरैना विधानसभा के लिए हाल ही में भाजपा के चुनाव पर्यवेक्षकों के सामने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकताओं ने जो वोटिंग करवाई गई उसमें शहरी कार्यकर्ता मतदाताओं ने भाजपा के तीन दिग्गज पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री एवं विधायक रुस्तम सिंह, भाजपा के मण्डल अध्यक्ष अनिल गोयल, और पूर्व विधायक सेवाराम गुप्ता के हक में मतदान किया था। जिसमें सर्वाधिक मत भाजपा के अनिल गोयल उर्फ अल्ली को प्राप्त हुए। इससे साफ संकेत जाता है कि इस बार कार्यकर्ता किसी वेश्य वर्ग के प्रत्याशी को ही अपना उम्मीदवार चुनना पंसद करेगी।
अनिल गोयल को शहरी क्षेत्र से भारी समर्थन प्राप्त हुआ उसके साथ ग्रामीण कार्यकर्ता ने भी उन पर भरोसा जताया हैं। चुनाव समर में जहां भारतीय जनता पार्टी मुरैना विधानसभा पर प्रत्याशी के तौर पर रुस्तम सिंह को ही मानकर चल रही थी लेकिन सेवाराम गुप्ता और अनिल गोयल उर्फ अल्ली के मैदान में आ जाने से संगठन को पुन: विचार करने पर मजबूर कर दिया हैं। मुरैना विधानसभा वैश्य वर्ग की अधिकता और हाल में समाज की मीटिंगो में भी यह बात पुरजोर तरीके से उठी है कि वैश्यों को मौका मिलना चाहिए, इस कड़ी में भारतीय जनता पार्टी के दो वैश्य उम्मीदवार मैदान में है।, सेवाराम गुप्ता पूर्व विधायक मुरैना विधानसभा से रहे चुके है वह दो बार मुरैना विधानसभा से चुने गए है, लेकिन सेवाराम गुप्ता की सुस्तता व ठेकेदारी के व्यवसाय के चलते कार्यकर्ताओ से दूरी पार्टी संगठन व क्षेत्रीय जनता के लिए कार्य कोई ठोस आधार पर नहीं किये। इसके चलते सन! 2004 के चुनाव में पार्टी ने नये उम्मीदवार आईपद से इस्तीफा देकर राजनीति के मैदान में कूदे रुस्तम सिंह की उम्मीदवारी से सेवाराम गुप्ता ने पार्टी निष्ठा त्याग कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़े और चुनाव बुरी तरह से हारे इससे पार्टी में उनकी जगह जाती रही। सन् 2008 के चुनाव में भाजपा से टिकिट की आस लगा रहे सेवाराम अब पार्टी में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे है। कहा जाता है सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते शायद भाजपा हाईकमान सेवाराम पर एक नजर डाल सकती है।
आई जी जैसे भारी भरकम प्रशासनिक पद छोड़कर भाजपा की सक्रिय राजनीति में कदम रख कर सन् 2008 में मुरैना से 15 हजार से अधिक मतों से बहुजन समाज पार्टी के मजबूत प्रत्याशी परशुराम मुदगल को हराकर विधानसभा में पहुचने वाले रुस्तम सिंह अपने पांच साल के विकास कार्यो के दम पर मजबूती से खड़े हुए है। उन्हें विधायक बनने के साथ ही केबिनेट मंत्री का दर्जा मिला सत्ता में जहां तीन मुख्यमंत्री बदले लेकिन लेकिन रुस्तम सिंह सभी की पंसद रहे। उन्होंने समय के साथ राजनीति में खुद को ढाल लिया है। लेकिन अभी भी उनका आई जी बाला लहजा बरकरार है। कार्यकर्ताओं को भी पुलिसियाई लहजे में ही लेते है। हालांकि रुस्तम सिंह का पांच सालों का विकास का ग्राफ बहुत अच्छा रहा है।
हाल ही में युवा दावेदारी में अनिल गोयल उर्फ अल्ली की पार्टी संगठन व सर्वसमाज में काफी अच्छी पकड़ है। भारतीय जनता पार्टी में पन्द्रह बर्षो से सक्रिय अल्ली आज पार्टी संगठन की जान बन चुके है। सर्वप्रथम बसन्धरा राजे के जेल भरो आन्दोलन से जुड़े अल्ली पार्टी के वयोवृध्द नेता जहार सिंह शर्मा के साथ पार्टी मे काम किया। पार्टी पदाधिकारियों के रुप में कोषाध्यक्ष रहे इन्हें पार्टी की तरफ से सन् 2000 में मण्डी डायरेक्टर रहे जहां इन्होने व्यापारियों व किसानों के हितो में कार्य किये। अल्ली के पार्टी सेवा में पार्षद चुनाव 95 में अपनी अल्ली गोयल की छवि ने काम किया। सन् 2004 में स्वयं ने चुनाव में उतर कर पार्षद सीट जीती। नगर पालिका मुरैना के उपाध्यक्ष पद पर काबिज रहते हुए इसे पार्टी व संगठन क्षेत्रीय जनता में नये नेता के रुप में अल्ली गोयल को देखा गया। नगर पालिका के उपाध्यक्ष पद रहते उन्होनें शहर के बीचों बीच दो सुन्दर व भव्य पार्को का निर्माण करवाया। नपा के उपाध्यक्ष पर अल्ली ने शहर वासियों के लिए कई सुविधाजनक कार्य भी करते रहे। सामाजिक क्षेत्र में सन् 1996 में अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन करवाया गया था। सन् 1994 में अग्रवाल युवक - युवती परिचय सम्मेलन में महत्वपूर्ण सहभागिता निभाई थी। अल्ली के दावेदारी क्षेत्र से काफी मजबूत मानी जा रही है। उसका एक कारण ये है कि मुरैना विधायक सम्भव हो की ग्वालियर देहात से चुनाव लड़ने का मन बना रहे है। इससे पार्टी और क्षेत्र में अल्ली की चर्चा जोरों में है। वैश्य मूड को देखते हुए पार्टी किसी भी तरह अपनी सीट को सुरक्षित रखना चाहेगी।
मुरैना विधानसभा पर जहां बहुजन समाज पार्टी ने परशुराम मुदगल पर भरोषा दिखाकर ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकिट दिया है। वहीं कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही अपने पत्ते नहीं खोले है।
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