कार्बन डाइआक्साइड तथा इसका वातावरण पर प्रभाव
कार्बन डाइआक्साइड तथा इसका वातावरण पर प्रभाव
वातावरण में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा में जबरदस्त वृध्दि हो गई है । इसके फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ रहा है । पिछले तीन वर्षों के दौरान वायुमंडल में कार्बनडाइआक्साइड की क्रमिक वृध्दि हो रही है ।
भारत सकरार ने पृत्वी का वायुमंडल सामान्य रखने के लिए इसकी मात्रा में कमी लाने के प्रयास किये हैं ।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के तीन कार्यकारी समूहों की चतुर्थ मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2000 से पृत्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड की सांद्रता 2.5 पार्टिकल प्रति मिलियन (पीपीएम) की दर से बढा है । तीन वर्षों के दौरान कार्बन डाइआक्साइड की वातावरण सांद्रता इस प्रकार रही । 2005, 2004 तथा 2003 में क्रमश 379 पीपीएम, 376.5 पीपीएम तथा 374 पीपीएम । वातावरण सांद्रता का देशवार आंकलन नहीं रिकार्ड किया गया है । पिछले 100 वर्षों में सतही वायु के तापमान में औसतन 0.74 डिग्री सेल्सियस की वृध्दि हुई है । भारत सरकार जलवायु परितर्वन पर सयुक्त राष्ट्र संघ फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसीसी ) क्याटो प्रोटोकोल में शामिल है और स्वच्छ विकास प्रणाली परियोजनाओं को मेजबान देश मंजूरी प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ विकास प्रणाली प्राधिकरण की स्थापना की है । भारत के पास क्योटो प्रोटोकोल के सीडीएम के तहत सबसे ज्यादा परियोजनायें हैं, ये परियोजनाएं कुल ग्रीन हाउस उत्सर्जन की मात्रा कम करते हैं ।
यद्यपि भारत एक विकासशील देश होने के नाते उपशमन के लिए वचनबध्द नहीं है फिर भी नीतियों तथा कार्यक्रमों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन कम करने के लिए निरंतर विकास के रास्ते अपनाए जा रहे हैं -
1. ऊर्जा संरक्षण सुनिश्चित करना तथा विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा क्षमता उन्नत करना, ऊर्जा क्षमता ब्यूरो की स्थापना करना ।
2. अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढावा देना ।
3. ऊर्जा क्षेत्र में सुधार तथा सक्रिय ऊर्जा कार्यक्रम
4. यातायात के लिए स्वच्छ तथा कम कार्बन वाले ईंधन का उपयोग
5. स्वच्छ ऊर्जा वाले ईंधन का उपयोग
6. वानिकी तथा वन संरक्षण
7. स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी को बढावा
8. गैस बर्वादी को कम करना
9. सार्वजनिक त्वरित परिवहन प्रणाली को प्रोत्साहन
10. सभी क्षेत्रों के लिए पर्यावरण गुणवत्ता प्रबंधन
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