नदियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय नीति

नदियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय नीति

औद्योगिक और प्रदूषण के अन्य स्रोतों के अलावा घरेलू सीवेज नदियों के प्रदूषण का मुख्य स्रोत है । नदी संरक्षण योजना के अंतर्गत प्रदूषण उपशमन के प्रमुख घटकों में कच्चे सीवेज का अवरोधन और अपवर्तन तथा सीवेज शोधन संयंत्रों की स्थापना शामिल है । उद्योगों द्वारा प्रदूषण की जहां तक बात है, इस दिशा में किए गए प्रयासों में उद्योगवार विशिष्ट बहिष्प्रवाही मानकों को अधिसूचित करना, बहिष्प्रवाही शोधन संयंत्रों की स्थापना को बढावा देना तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और जल (निवारण और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम 1974 के अंतर्गत केन्द्रराज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण पर निगरानी रखना शामिल है ।

      गंगा कार्य योजना के अंतर्गत दोनों चरणों का प्रदूषण उपशमन कार्य पूरा हो जाने के बाद महत्वपूर्ण स्थानों पर गंगा जल की गुणवत्ता में कार्य योजना से पूर्व के मुकाबले सुधार हुआ है । लेकिन यमुना नदी के पानी में खासकर दिल्ली में इच्छित सुधार नहीं हुआ है क्योंकि सीवेज शोधन क्षमता में मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है और नदी में न्यूनतम बहाव के ताजा पानी की उपलब्धता कम है । अन्य नदियों के संदर्भ में कार्य विभिन्न स्तरों पर है ।

      जनसंख्या वृध्दि के कारण प्रदूषण के बढते बोझ के चलते नीतियों की समीक्षा और अतिरिक्त कस्बों और नदियों की पहचान करना एक सतत प्रक्रिया है । जल राज्य सरकार का विषय है इसलिए केन्द्र सरकार राज्य सरकारों को प्रदूषण वाले क्षेत्रों के लिए एकबारगी अनुदान देकर उनको सहायता करती है । राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना सरकार का एक बड़ा कार्यक्रम है ।

 

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