किसान कॉल सेंटर में साल भर में 70 हजार से अधिक किसानों ने पूछताछ की

किसान कॉल सेंटर में साल भर में 70 हजार से अधिक किसानों ने पूछताछ की

खेती की समस्याएं जानने के लिए काल सेंटर में किसानों द्वारा सेवा का उपयोग

खेती किसानी की समस्याओं का उत्तर जानने के लिए प्रतिदिन डेढ़ सौ से दौ सौ कृषक 'किसान काल सेंटर' की सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। कृषि संबंधी समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार द्वारा प्रारंभ की गई 'किसान कॉल सेंटर योजना' अत्यंत सफल रही है। इसके अंतर्गत कहीं से भी किसान भारत संचार लिमिटेड के फोन नंबर पर जानकारी ले सकते हैं जो कि बिल्कुल मुफ्त है। साल भर में यही कोई 70 हजार किसानों ने पूछताछ की है।

किसान काल सेंटर

  • 21 जनवरी 2004 से प्रारंभ
  • नि:शुल्क टेलीफोन नंबर 1551
  • 24 घंटे कार्यरत
  • प्रतिदिन डेढ सौ से दौ सौ किसानों द्वारा पूछताछ
  • सीधे टेलीफोन पर बातचीत के अलावा आई.व्ही.आर.एस. प्रणाली पर भी समस्या रिकार्ड की सुविधा
  • किसानों द्वारा सीजन के अनुसार समस्याये दर्ज

सूचना एवं दूरसंचार में आई बहुआयामी क्रांति का लाभ किसानों को खेत तक पहुंचाने के लिए 'किसान कॉल सेंटर योजना' प्रदेश में 21 जनवरी 2004 से प्रारंभ की गई थी। इंदौर मुख्यालय से इसका संचालन होता है तथा मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ के किसान भी इससे लाभान्वित होते है। इन दोनों राज्यों के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई है।

इन दोनों राज्यों में कहीं से भी भारत संचार लिमिटेड के फोन नंबर 1551 नंबर डायल कर कृषि संबंधी समस्या बताई जा सकती है। यह टेलीफोन बिल्कुल नि:शुल्क है तथा इसे लगाने पर किसान को कोई भुगतान भी नहीं करना पड़ता है।

किसान कॉल सेंटर पर किसानों द्वारा जानकारी लिये जाने पर उनका पूरा विवरण यहॉ दर्ज हो जाता है।किसानों की समस्याओं को तीन लेविल पर सुलझाने के प्रयास किये जाते हैं जैसे सबसे पहले फोन करने पर प्रथम स्तर (लेविल एक) पर कृषि स्नातक के संपर्क में किसान आयगें जो अपने स्तर से कृषकों की समस्या का निदान कर कृषक को संतुष्ट करेंगे।

सवाल कैसे-कैसे

  • मौसम से संबंधित जानकारी
  • बीज, बुआई,कीटनाशक औषधि
  • उत्पाद के विपणन संबंधी
  • कृषि संबंधी नियमों की जानकारी
  • किसान क्रेडिट कार्ड
  • कृषि ऋण संबंधी जानकारी
  • पशुओं की बीमारियों आदि के बारे में
  • सीजन के अनुसार पूछताछ

इस स्तर पर सन्तुष्ट ना होने पर लेविल दो में कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों एवं अन्य कृषि संस्थान में बैठे द्वितीय स्तर के विशेषज्ञों से वार्ता करवाई जायेगी। विशेषज्ञ किसानों की समस्याओं को विशेष प्राथमिकता के आधार पर हल करेंगे।

इसके बाद भी किसान के असंतुष्ट रहने पर किसान की समस्या लिख ली जायेगी तथा उसे पुन: हल करने का प्रयास लेविल-3 के अधिकारी द्वारा किया जायेगा अथवा कृषि विभाग का कोई प्रसार कार्यकर्ता कृषक के यहॉ भ्रमण कर समस्या का समाधान करेगा।

इसी तरह से नीति निर्धारण अथवा प्रशासनिक समस्याओं से संबंधित समस्याओं का निराकरण लेविल-3 स्तर के अधिकारी करेंगे, जो संचालक कृषि होंगे।

किसान कॉल सेंटर चौबीस घंटे कार्यरत रहता है। इसमें सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक तो सीधे टेलीफोन पर बात हो सकती है जबकि रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक अथवा अवकाश होने पर किसान की समस्या आई.व्ही.आर.एस. प्रणाली पर दर्ज कर ली जाती है तथा किसान को डाक द्वारा उत्तर भेजा जाता है। किसान कॉल सेंटर में कृषि, पशुपालन आदि संबंधित विभागों की समस्याओं के जबाब भी दिये जाते हैं।

किसान कॉल सेंटर पर प्रतिवर्ष 60 से 70 हजार किसानों द्वारा अपनी समस्यायें बताई जा रही है इनसे महानगरों के किसानों के अलावा दूरस्थ ग्रामों में बसे किसान भी शामिल है।

श्री विकास शुक्ला
प्रभारी किसान कॉल सेंटर, इंदौर

 

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