वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन

वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन
सुनिश्चित किया जाय- प्रमुख सचिव श्री रावत

संजय गुप्‍ता(मांडिल) मुरैना ब्‍यूरो चीफ मुरैना 2 अप्रैल 08/ प्रमुख सचिव आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण श्री ओ.पी. रावत ने कहा है कि अनुसूचित जाति और परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय और 14 से 20 अप्रैल तक होने वाली ग्राम सभाओं में वन अधिकार संबंधी दावे प्राप्त करने के प्रयास किये जांय । श्री रावत आज मुरैना में अधिनियम पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे । इस अवसर पर संभागायुक्त श्री विश्व मोहन उपाध्याय, कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, वन संरक्षक श्री आर.वी. सिन्हा, अपर संचालक अनुसूचित जाति विकास श्री ए.के. उपाध्याय, उपायुक्त आदिम जाति कल्याण श्री के.डी. त्रिपाठी तथा चम्बल संभाग के तीनों जिलों के वन, राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे ।
श्री रावत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा उक्त अधिनियम को 31 दिसम्बर 07 से प्रभावी किया गया है । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी समस्त संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर इसका सर्वोच्च प्राथमिकता से क्रियान्वयन कर 30 सितम्बर 08 तक इससे संबंधित कार्यों को पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं । उन्होंने कहा कि समय सीमा का विशेष ध्यान रखा जाय । वन अधिकार संबंधी दावे प्राप्त करने और उनका निराकरण करने के लिए ग्राम सभाओं को जागरूक करना तथा अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराना उप खंड स्तरीय समिति की जिम्मेदारी में शामिल रहेगा । उन्होंने कहा कि ग्राम सभा के संकल्प से व्यथित व्यक्ति उपखंड स्तरीय समिति में याचिका कर सकेगा और उप खंड स्तरीय समिति के निर्णय की शिकायत जिला स्तरीय समिति में दर्ज होंगी । उन्होंने कहा कि इस संबंध में ग्राम सभा को सहयोग नहीं देने वाले अधिकारी के विरूध्द सीधे राज्य स्तरीय समिति में शिकायत दर्ज कराई जायेगी ।
प्रमुख सचिव श्री रावत ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जन जाति के मामले में उसका 13 दिसम्बर 2005 से पहले का काविज होना जरूरी है तथा अन्य परम्परागत वन निवासी के लिए कम से कम तीन पीढियों तक प्राथमिक रूप से वन भूमि में निवास करना और जीविका के लिए उस पर निर्भग्र होना जरूरी है । अधिनियम के अनुसार अभ्यारण्य की भूमि के मामलों में भी अधिकारों को मान्यता देने का प्रावधान रहेगा । उन्होंने दावे प्राप्तकरने के संबंध में ग्राम पंचायत सचिवों के प्रशिक्षण पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि दावा प्रपत्र भरवाने में पूरी पारदर्शिता वरती जाय और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाय कि अधिनियम की आड़ में कोई वाहरी व्यक्ति लाभ न उठाले । नोडल अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे दावे प्राप्त न होने के कारणों का स्प्ष्ट खुलाशा करें ।
श्री रावत ने कहा कि 13 वें वित्त आयोग ने अनुसूचित जन जाति विकासके लिए विशेष प्रावधान किया है । इसका लाभ उठाया जाय और वन निवासियों के लिए शिक्षा, बिजली स्वास्थ्य, आवास , वनों के सुधार आदि से संबंधित विकास योजनाओं के प्रस्ताव तैयारकर भेजे जांय । उन्होंने बताया कि शासनने तीन एकलव्य विद्यालय खोलने का भी निर्णय लिया है । इनमें आवास और शिक्षा की नि: शुल्क व्यवस्था रहेगी ।
संभागायुक्त श्री विश्व मोहन उपाध्याय ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम की जानकारी देने के लिए यह संभाग स्तरीय कार्यालय आयोजित की गई है । अधिकारी इसका लाभ उठाने की पहल करें और किसी भी प्रकार की शंका का निसंकोच हो कर निराकरण करायें ।
प्रारंभ में कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यशाला का शुभारंभ किया । उपायुक्त आदिम जाति कल्याण श्री के.डी.त्रिपाठी ने पावर प्रेजेन्टेशन के माध्यम से अधिनियम के प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी । कार्यशाला में अधिनियम के संबंध में अधिकारियों की शंकाओं का निराकरण किया गया और प्रमुख सचिव श्री रावत ने भी प्रश्न का तथा उनके उत्तर भी स्वयं देकर अधिकारियों का अधिनियम के संबंध ज्ञानवर्ध्दन किया। कार्यशाला कर संचालन श्री देवेन्द्र तोमर ने किया । अंत में सभी की उपस्थिति के प्रति जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण श्री के.डी. पाण्डेय ने आभार व्यक्त किया ।

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