हलकनामें को मार डालो, हम सब को इसने मारा

व्‍यंग्‍य आलेख-

सेतु उत्‍तर काण्‍ड बनाम बक बक न करिये जनाब

नरेन्‍द्र सिंह तोमर 'आनन्‍द'

(यह आलेख सेतु विवादम का भाग 2 नहीं है )

मैंने जब सेतु विवादम बनाम जाकी रही भावना जैसी वाला आलेख लिखा था इतनी जल्‍दी उस पर एक्‍शन हो कर समस्‍या के पटाक्षेप की मुझे कतई उम्‍मीद नहीं थी और उसके लिये पूरी तैयारी के साथ लगभग 7 किश्‍ते इस आलेख की मेरे मनोमस्तिष्‍क में तैयार थीं किन्‍तु कांग्रेस नेता आदरणीया सोनिया जी और उनके सहयोगीयों ने बात या आलेख के आगे बढ़ने से पहले ही आलेख की विषयवस्‍तु का पटाक्षेप कर दिया, सो आगे की किश्‍त लेखन की आवश्‍यकता ही नहीं रही ।

किन्‍तु कुछ क्षेत्रीय नेताओं ने इस विषयवस्‍तु के पटाक्षेप उपरान्‍त जो चिल्‍लपों इस देश में मचा रखी है, कुछ बाते उन पर भी करना प्रासंगिक होगा ।

यूं तो हर नेता का अपना सुर होता है और अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग हुआ करता है । लेकिन नेता जब तक सुर में बोले तो चलो ठीक है लेकिन जब बेसुरा और भौंड़ा होकर नर्राने लगता है तो बर्दाश्‍त की सीमायें लांघ जाता है ।

वे तर्क और विश्‍लेषण की दुहाईयों तक उतर कर राम के कालेज और विश्‍वविद्यालय का नाम पूछ रहे हैं । उधर राम कटोरे कह रहे हैं कि केन्‍द्र सरकार ने बड़ी गलती की जो हलफनामा वापस ले लिया और अब केन्‍द्र वालों पर हलफनामा वापसी का मुकदमा चलाया जाना चाहिये । प्रस्‍तुत आलेख व्‍यंग्‍य आलेख है ।

दक्षिण में कैद है करूणा

अपने दक्षिण में एक नेता हैं नाम से तो करूणा की निधि यानि करूणा के भण्‍डार हैं या यूं कह लीजिये कि डिपो यानि आगार हैं । मगर करूणा उनके आसपास से कहीं गुजरी हो इसका कोई प्रमाण नहीं मिला, सबूत खोज रहा हूँ अरसे से, हे करूणा की निधि कहीं हो करूणा आसपास आपके तो मिलवा दीजिये जनाब । हम मुलाकात भी करेंगें नैन मटक्‍का भी कर लेंगें, दिल फेंक आशिक जो ठहरे इश्‍क भी लड़ा लेंगें । उस करूणा से मिला दो भण्‍डार जी, जिसे कैद रखा है आपने अपने भण्‍डार गृह में यार । हम तो तेरे आशिक हैं सदियों पुराने, चाहे तू माने चाहे ना माने ....।

करूणा के भण्‍डार तो राम जी भी थे, लोग कहते हैं कि उनकी करूणा की कई कथायें हैं, मैं करूणा भण्‍डार जी की राह पर चल कर राम जी की करूणा खोज रहा हूँ , अरे खोज क्‍या रहा हूँ , ससुरे सबूत तलाश रहा हूँ यानि प्रमाण वह भी त्रियाआमी ठप्‍पे वाला यानि हालमार्क खोज रहा हूँ । पता लगते लगते पता लगा कि इस देश में करूणा का भण्‍डार तो आप हैं और आपने सारे देश की करूणा जी(यों ) को कैद कर रखा है, तो यार तुम ही दे दो एक करूणा, जिससे अपना भी हो जाये उद्वार, उसी अहिल्‍या की भांति जिसे पतित और पत्‍थर से पावन और जीवन्‍त कर दिया था, या उस शबरी के मानिन्‍द जिसके झूठे बेर खाकर तुमने करूणा वत्‍सल का नाम पा लिया । या उस केवट मल्‍लाह की तरह या उस निषादराज की तरह जिनके साथ तुम्‍हारी करूणा ने जांत पांत को जात मार कर उनके मेहमान राम सीता और लक्ष्‍मण को बना दिया ।

अरे उसी करूणा की एक झलक दिखला दो भईये जो तुमने पम्‍पापुर में सगे भाई बालि के सताये सुग्रीव को दिखलाई और उसकी पत्‍नी व बेटा वापस दिलाये । और फिर बालि को मार कर करूणावश पम्‍पापुर लोकसभा या पम्‍पापुर स्‍टेट के चीफ मिनिस्‍टर की सीट छोड़ दी थी ।

अरे करूणा भण्‍डार वही करूणा की एक डलक हो जाये जो विभीषण पर बरसा दी और लंका जीत कर लंका के राष्‍ट्रपति महामहिम की गददी तुमने छोड़ दी थी । या फिर वही करूणा दिखला दो जो अयोध्‍या छोड़ जंगल के लिये सपत्‍नीक निकल पड़े थे ।

हॉं तो भईया निधि ऑफ करूणा, क्‍या ख्‍याल है, हो जाये करूणा के भण्‍डार की करूणा के प्रमाण का प्रदर्शन ।

और हॉं जी राम कहॉं के थे, कौन था यह राम, और किस महाविद्यालय या किस विश्‍वविद्यालय से इंजीनियरिंग स्‍नातक करके इसने पुल बनाया था । अरे भईया राम कहॉं का था और कौन था ये राम अब हम आपको क्‍या बतायें, केन्‍द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार ने कोर्स की किताबों में राम रखवा दिये हैं, ऐसा करना किसी स्‍कूल कॉलेज में एडमीशन ले लेना, माड़साब मुर्गा बना बना के रटा देंगें और हमारी तरह अपने आप बताने लगोगे कि गॉंधी जी मरने से पहले आखिरी शब्‍द क्‍या बोले । मरते वक्‍त गांधी जी झूठ बोले या सच, यह तो गांधी जी ही बता सकते हैं और गांधी जी से बात करना है तो यार तुम्‍हें उनके पास ही जाना पड़ेगा, वैसे भी यार खूब पक गये हो काफी सड़ खप गये हो, गर्दन तक कब्र में झूल रहे हो, मिल आओ और प्रमाण ले आओ, तुम्‍हारी प्राब्‍लम भी साल्‍व हो जायेगी और देश की भी । वहॉं राम भी मिल जायेंगे और रावण भी, उन्‍हीं से पूछ लेना कि तुम थे कि नहीं, तुमने पुल बनाया तो कैसे बना डाला बिना इंजीनियरिंग करे । साला बगैर इंजीनियरिंग किये कैसे मैप बनाया कैसे हमारी स्‍टेट में कन्‍सट्रक्‍शन करवा डाला, कैसे राज्‍य सरकार की इजाजत बगैर तुमने पेड़ उखड़वाये, कटवाये, खण्‍डे पत्‍थर और पहाड़ उखड़वा कर अवैध उत्‍खनन करवा डाला । कैसे हमारी इजाजत के बगैर और बिना वीसा बिना पासपोर्ट खुद भी और पूरी सेना लेकर विदेश यानि लंका चले गये । तुम्‍हारी पत्‍नी का अपहरण हो गया था तो हमारी स्‍टेट के किसी थाने में रिपोर्ट क्‍यों नहीं लिखाई, और अगर लिखाई थी उसका एफ.आई.आर. नंबर और डेट दो, उसका प्रमाण यानि फोटो कापी दो । करूणा भईया जरा जम के चढ़ बैठना । आई.पी.सी. के संग और भी कई कानूनों की कई धारायें लगतीं हैं, मैं पेशे से एडवोकेट हूँ खूब सारे अधिनियम और धारायें बता दूंगा

यह भी हड़काना कि क्‍यों न तुम पर बालि मर्डर केस और रावण एण्‍ड कम्‍पनी का मर्डर केस चलाया जाये । क्‍यों न तुम पर सोने की दुर्लभ बेशकीमती नगरी लंका को जलाने के आपराधिक षडयंत्र रच कर जलवाने का भी मुकदमा चलवा दिया जाये । खूब हड़का हड़कू कर वापस आ कर अपने किसी थानेदार को बुला कर रिपोर्ट लिखा देना, फिर वारण्‍ट तामील करा कर ऊपर से पकड़वा कर मंगा लेना। खूब मशहूर हो जाओगे, अखबार मीडिया सबके सब चैनल्‍स, इण्‍टरनेट सब कवरेज देंगें और क्षेत्रीय नेता से नेशनल नहीं इण्‍टरनेशनल हो जाओगे । अमेरिका के बुश चाचा तो तुमसे पूछे बगैर बाथरूम तक में नहीं घुसेंगें । अरे यार विज्ञान तरक्‍की पर है, चांद मंगल और बृहस्‍पति तक आदमी घूम आया है, तुम विष्‍णु लोक तक हो आओ । पकड़ लाओ इन अपराधीयों इन राम और उसकी सेना को ।

कॉस्मिक, लेजर, माइक्रोब्रेन, नैनो, मैनो, सैनो सारी की सार टैक्‍नालॉजी इस्‍तेमाल कर डालो ।

अरे हॉं राम की यूनीवर्सिटी तो रह ही गई, भारत के दकियानूस, अंधविश्‍वासी कहते हैं कि राम 'वशिष्‍ठ यूनिवर्सिटी आफ वर्ल्‍ड एजुकेशन, गुरूकल ऑफ अयोध्‍या' के परास्‍नातक थे और ऑल ब्रांचेज में हाइली क्‍वालीफाइड थे । अरे सब बकते हैं यार, ये भी कोई यूनिवर्सिटी है, इसे एक्रेडेशन एफिलेशन कब मिला किसने दिया कोई प्रमाण नहीं कोई सबूत नहीं कोई होलोग्राम मोनोग्राम नहीं । चढ़ बैठो, अरे मैं तो कहता हूँ कि क्‍या दूर की कौड़ी लाये हो , वाकई इण्‍टेलीजेण्‍ट हो प्‍यारे । लो कहते हैं कि बुढढे पहिले सठियाते हैं, फिर असियाते हैं और सौ तक आते आते सो जाते हैं । अरे तुमने तो सब कहावत झुठला दीं यार वाह क्‍या इण्‍टेलीजेन्‍सी पाई है, भाई सब भले ही तुम्‍हें गरियायें मैं तो तुम्‍हारा फैन बन गया डीयर । हॉं यार कानून फानून का कोई मतलब ही नहीं रहा, कोई भी आ कर अपनी स्‍टेट में रातों रात पुल ठोंक दें और बिला परमीशन विदेश भाग जाये, और दफा 144 या कर्फयू की चिन्‍ता करे बगैर विदेश में कत्‍लेआम कर आये, गलत बात, सरासर गलत । सोई तो मैं कहूँ कि आजकल मेरे पास मुकदमे क्‍यों नहीं आ रहे, ससुरा कानून नाम की चीज ही नहीं रही देश में, ऐसे तो नेता, वकील, अफसर, पुलिस, अदालत सब भूखे मर जायेगें । भैया करूणा मैं तुम्‍हारे फेवर में हूँ, चलो अपुन दोनों मिल के डकरायें जैसे दूरदर्शन पर डकराते हैं 'मिले सुर मेरा तुम्‍हारा'

मोदी भईया जिन्‍दाबाद

हॉं तो हमारे नामराशि मोदी जी ने शायद पिछली रोटी खाने की आदत डाल रखी है, उनकी ब्रेन गाड़ी थोड़ा अटल जी की स्‍पीच की तरह अटक अटक कर चलती है , तब तक ससुरी गाड़ी छूट जाती है और वे नवाबों के मानिन्‍द पहले आप पहले आप में ही लगे रहते हैं ।

अरे यार मोदी सोनिया जी ने कचरा कर दिया, अच्‍छी भली हाथ आयी त्रेतामेड तोप हाथ से छीन ली, वरना दिल्‍ली तो दूर नहीं थी । अरे यार अपुन को राम से क्‍या लेना देना, राम तो यूं ही ठूंठे राम थे, सरासर जिन्‍दगी भर गलत करते रहे, अरे भला कोई हाथ आयी गददी भी कहीं छोड़ता है अयोध्‍या की सीट छोड़ दी, फिर पम्‍पापुर और लंका भी छोड़ दी । इण्डियन पॉलिटिक्‍स तो ऐसा नहीं कहती, अरे भईया क्‍यों दे अपनी सीट किसी और को ।

अरे यार मोदी जी अपुन को भी भारी कष्‍ट है हलफनामा वापस हो जाने का, तुम्‍हारा स्‍टेटमेण्‍ट एक पेपर में पढ़ा मुझे लगा कि हम तुम एक ही कश्‍ती के सवार हैं , यार हलफनामा नहीं ये तो हलकनामा हो गया जो हलक में अटक गया है पहले केन्‍द्र वालों के हलक में अटका था अब गैर केन्‍द्र वालों के हलक में मछली के कांटे की तरह । ( भई मोदी जी मैं मछली नहीं खाता लेकिन मैंने सुना है कि मछली का कॉंटा हलक में फंस जाता है तो जान पर बन आती है )

यार तुमको कष्‍ट है कि ये हलकनामा वापस क्‍यों हुआ, मुझे भी यही कष्‍ट है कि ये हलकनामा वापस क्‍यों हुआ, आप दिल्‍ली पहुँचते पहुँचते स्लिप मार गये, और मेरे लेख की छ: किश्‍तें धरीं रह गयीं, छप ही नहीं पायीं । हम दोनों को कष्‍ट है होना ही है अरे तुम भी नरेन्‍द्र और मैं भी नरेन्‍द्र, तीसरे नरेन्‍द्र आपकी पार्टी के म.प्र. के अध्‍यक्ष हैं उनके भी हलक में यह हलकनामा अटक गया है और वे राम के वन गमन पथ पर उनके चरण चिहन ढूंढ़ने निकल पड़े हैं, सत्रह लाख साल बाद चरण खेजना कोई हँसी ठठठा है क्‍या, पर राम की महर हुयी तो मिल ही जायेंगें । चलो वे फुरसत में थे सो उन्‍हें तो कोई बेरोजगारी निवारक रोजगार चाहिये ही था सो उनने अपने लिये काम खोज ही लिया । अब हम दो नरेन्‍द्र बचे हैं इस हलकनामें के हलक में फंसने से । यार कुछ करो भईये जिससे मेरे लेख की छ किश्‍त भी छप जायें । मैं भी इन दिनों खासा बेरोजगार हूँ । मेरी तो हालत ऐसी है कि पार्टी वालों को मेरा ख्‍याल नहीं वहॉं भी मलाईमारों की पूछ परख है और दूसरी पार्टी वाले घास नहीं डालते । हमको भी गम ने मारा , तुमको भी गम ने मारा, यानि हमको भी हलकनामे ने मारा, तुमको भी हलकनामे ने मारा इस हलकनामें को मार डालो, हम सब को इसने मारा ।

टिप्पणियाँ

Madhu ने कहा…
हिन्दि मे खोज!
http://www.yanthram.com/hi/

हिन्दि खोज अपका सैटु के लिये!
http://hindiyanthram.blogspot.com/

हिन्दि खोज आपका गुगुल पहेला पेजि के लिये!
http://www.google.com/ig/adde?hl=en&moduleurl=http://hosting.gmodules.com/ig/gadgets/file/112207795736904815567/hindi-yanthram.xml&source=imag

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