स्कूली शिक्षकों को एक और फायदा
स्कूली शिक्षकों को एक और फायदा
व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए भी अनुदान, 20 हजार शिक्षक होंगे लाभान्वित, बीएड वालों को छह हजार रूपए, डीपीई कीे पूरी फीस देगी सरकार
मध्यप्रदेश में स्कूली शिक्षा के बेहतरीन मुकाम कायम करने की ठान चुकी मौजूदा राज्य सरकार ने अपने फैसलों और इन पर अमल की प्रतिबध्दता को लेकर एक और कदम बढ़ाया है। यह सौगात शिक्षकों के हक में उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए अनुदान देने से जुड़ी है। बी.एड. करने वाले शिक्षकों को पाठयक्रम शुल्क के बतौर 6000 हजार रूपयों तक का अनुदान दिया जाएगा। डी.पी.ई. पाठयक्रम करने वाले शिक्षकों के लिए तो और आगे जाकर उनकी पूरी फीस का खर्च ही राज्य सरकार उठाएगी। अगले दो सालों में इस फैसले से कोई 20 हजार शिक्षक लाभान्वित होंगे।
मौजूदा राज्य सरकार ने माना है कि स्कूली शिक्षा में मुकम्मल गुणवत्ता आज की अहम जरूरत है। चूंकि सवाल बच्चों के भविष्य का है, इसलिए उन्हें पढ़ाने वालों को निपुण और सक्षम बनाना बड़ी जिम्मेदारी है। बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा होने का सबक सिखाने वालों को इसी नज़र से एक खासियत में तैयार किया जा रहा है। व्यावसायिक प्रशिक्षण के खर्चे में उनके साथ राज्य सरकार इसीलिए हिस्सेदारी कर रही है। प्रारंभिक शिक्षा से जुड़े सभी शिक्षकों को व्यावसायिक तौर पर प्रशिक्षित करने का बाकायदा लक्ष्य तय कर लिया गया है।
इस नई योजना का अमल राज्य शिक्षा केन्द्र और इंदिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय के तालमेल से अंजाम दिया जाएगा। केन्द्र के आयुक्त श्री मनोज झालानी के मुताबिक अप्रशिक्षित शिक्षकों को शिक्षा स्नातक (बी.एड.) और प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा (डी.पी.ई.) पाठयक्रमों के प्रशिक्षण का लाभ सुनिश्चित किया जाएगा। इस फैसले के फायदे में शरीक होने वाले 20 हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों में अध्यापक, संविदा शिक्षक और गुरूजी, डी.एड. और डी.पी.ई. प्रशिक्षण हासिल करेंगे। यह प्रशिक्षण प्रदेश के जिला शिक्षा एंव प्रशिक्षण संस्थानों (डाइट्स) के जरिए दिया जाएगा।
व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए भी अनुदान, 20 हजार शिक्षक होंगे लाभान्वित, बीएड वालों को छह हजार रूपए, डीपीई कीे पूरी फीस देगी सरकार
मध्यप्रदेश में स्कूली शिक्षा के बेहतरीन मुकाम कायम करने की ठान चुकी मौजूदा राज्य सरकार ने अपने फैसलों और इन पर अमल की प्रतिबध्दता को लेकर एक और कदम बढ़ाया है। यह सौगात शिक्षकों के हक में उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए अनुदान देने से जुड़ी है। बी.एड. करने वाले शिक्षकों को पाठयक्रम शुल्क के बतौर 6000 हजार रूपयों तक का अनुदान दिया जाएगा। डी.पी.ई. पाठयक्रम करने वाले शिक्षकों के लिए तो और आगे जाकर उनकी पूरी फीस का खर्च ही राज्य सरकार उठाएगी। अगले दो सालों में इस फैसले से कोई 20 हजार शिक्षक लाभान्वित होंगे।
मौजूदा राज्य सरकार ने माना है कि स्कूली शिक्षा में मुकम्मल गुणवत्ता आज की अहम जरूरत है। चूंकि सवाल बच्चों के भविष्य का है, इसलिए उन्हें पढ़ाने वालों को निपुण और सक्षम बनाना बड़ी जिम्मेदारी है। बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा होने का सबक सिखाने वालों को इसी नज़र से एक खासियत में तैयार किया जा रहा है। व्यावसायिक प्रशिक्षण के खर्चे में उनके साथ राज्य सरकार इसीलिए हिस्सेदारी कर रही है। प्रारंभिक शिक्षा से जुड़े सभी शिक्षकों को व्यावसायिक तौर पर प्रशिक्षित करने का बाकायदा लक्ष्य तय कर लिया गया है।
इस नई योजना का अमल राज्य शिक्षा केन्द्र और इंदिरा गाँधी मुक्त विश्वविद्यालय के तालमेल से अंजाम दिया जाएगा। केन्द्र के आयुक्त श्री मनोज झालानी के मुताबिक अप्रशिक्षित शिक्षकों को शिक्षा स्नातक (बी.एड.) और प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा (डी.पी.ई.) पाठयक्रमों के प्रशिक्षण का लाभ सुनिश्चित किया जाएगा। इस फैसले के फायदे में शरीक होने वाले 20 हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों में अध्यापक, संविदा शिक्षक और गुरूजी, डी.एड. और डी.पी.ई. प्रशिक्षण हासिल करेंगे। यह प्रशिक्षण प्रदेश के जिला शिक्षा एंव प्रशिक्षण संस्थानों (डाइट्स) के जरिए दिया जाएगा।
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