मध्यप्रदेश शासन के तीन राष्ट्रीय सम्मान (विविध जनजातीय सम्मान-2008)

मध्यप्रदेश शासन के तीन राष्ट्रीय सम्मान (विविध जनजातीय सम्मान-2008)
भोपाल में 24 सितम्बर को आयोजित अलंकरण समारोह में सम्मानित किया जायेगा
मध्य प्रदेश शासन, आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा स्थापित पहले वीरांगना रानी दुर्गावती राष्ट्रीय सम्मान - 2008 से श्रीमती रोज़ केरकेट्टा, रांची को, वीर शंकरशाह-रघुनाथ शाह राष्ट्रीय सम्मान-2008 से श्री किनफाम सिं नोंगकिनरिह, मेघालय को तथा ठक्कर बापा राष्ट्रीय सम्मान-2008 से स्वामी विवेकानंद मेडिकल मिशन, उत्तरवायनाड, केरल को 24 सितम्बर को प्रात: 11 बजे रवीन्द्र भवन भोपाल में आयोजित भव्य अलंकरण समारोह में अलंकृत किया जायेगा। समारोह में महामहिम राज्यपाल डॉ. बलराम जाखड़, वन एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री कुँवर विजय शाह और आदिम जाति कल्याण, सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्रीमती रंजना बघेल गणमान्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इन सभी जनजातीय सम्मान के अंतर्गत रुपये 2-2 लाख की सम्मान निधि और प्रषस्ति पट्टिका प्रदान की जायेगी।
आदिम जाति कल्याण विभाग के उपक्रम वन्या के प्रबंध संचालक श्रीराम तिवारी ने रानी दुर्गावती राष्ट्रीय सम्मान की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य शासन द्वारा दिया जाने वाला यह सम्मान आदिवासी एवं पारंपरिक सृजनात्मक कला शिल्प, समाज-सेवा, प्रशासन में अद्वितीय उपलब्धि एवं योगदान के लिए आदिवासी महिला को देय है। वीर शंकरशाह-रघुनाथशाह राष्ट्रीय सम्मान भारतीय साहित्य में जनजातीय जीवन के सृजनात्मक सौंदर्य, परंपरा और विशिष्टता के उत्कृष्ट रेखांकन-लेखन में सुदीर्घ योगदान तथा आदिवासी पारंपरिक कलाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय साधना के लिए देय है तथा ठक्कर बापा राष्ट्रीय सम्मान गरीब, पीड़ित और हर तरह से पिछड़ी आदिवासी समुदाय के लोगों की प्रेम, समदृष्टि और ममतापूर्ण सेवा एवं सुदीर्घ साधना के लिए प्रति वर्ष दिया जायेगा।
श्री तिवारी ने बताया कि यह सम्मान इसी वर्ष से आरंभ किया गया है। इन सभी राष्ट्रीय सम्मान के लिये देष भर से, नामांकन आमंत्रित किए गए थे। साथ ही भारत के विशेषज्ञों, समाजशास्त्रियों, बुध्दिजीवियों, लेखकों, समीक्षकों से भी अनुशंसाएं आमंत्रित की गई थीं।
पहले रानी दुर्गावती राष्ट्रीय सम्मान-2008 से सम्मानित होने वाली श्रीमती रोज़ केरकेट्टा आदिवासी समाज का गौरव हैं। वे उच्चकोटि की समाज सेविका, शिक्षाविद्, भाषाविद् और अपनी सांस्कृतिक परंपरा के पुनरूत्थान में जुटी एकाकी सेना के समान हैं। श्रीमती केरकेट्टा गरीबों के सषक्तीकरण, जागरण और उनकी आर्थिक उन्नति एवं उन्हें न्याय दिलाने के लिए भी निरंतर सक्रिय हैं।
श्री तिवारी ने बताया वीर शंकरशाह-रघुनाथशाह राष्ट्रीय सम्मान-2008 से विभूषित होने वाले मेघालय के श्री किनफाम सिं नोंगकिनरिह ने आदिवासी जीवन और परंपराओं को अपने साहित्य के माध्यम से बड़ा फलक प्रदान किया है। विशेषकर खासी भाषा के संरक्षण के लिए वे निरंतर सक्रिय हैं।
उन्होंने बताया कि ठक्कर बापा राष्ट्रीय सम्मान-2008 से सम्मानित होने वाले स्वामी विवेकानंद मेडिकल मिशन केरल, गरीब पिछड़े वनवासियों को जागरुक बनाने, उनके स्वसहायता समूह संगठित करने तथा उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और जीविकोपार्जन के क्षेत्र में सशक्त और सराहनीय कार्य कर रहा है। अत: स्वामी विवेकानंद मेडिकल मिशन को ठक्कर बापा राष्ट्रीय सम्मान-2008 से अलंकृत करने का निर्णय लिया गया है।

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