भाईदूज पर बहिनों ने लगाया भाईयों के माथे पर तिलक
भाईदूज पर बहिनों ने लगाया भाईयों के माथे पर तिलक
मुरैना, अक्टूबर। आज भाईदूज पर बहिनों ने किया भाई के माथे पर तिलक कर मिठाई खिलाकर कर लम्बी उम्र की कामना की। दीपावली के तीसरे दिन बहिन - भाई का त्यौहार भाई दूज बड़े हर्षोल्लास से मना सुबह से ही बहिने अपने भाई को टीके करने के लिए घर में तैयारियां आरंम्भ कर दी। भाई दौज के दिन सुबह से ही बसों व ट्रेनों में भारी भीड़ आ जा रही थी। ट्रेनों में भीड़ अधिक होने के कारण महिलाओं और बच्चों का कॉफी मुश्किलों का सामना करना पढ़ा।
इस दिन बहिन वृत रखती है। अपने भाईयों का इन्तजार करती है। घर में विभिन्न प्रकार के स्वाष्टिक पकवान बनाऐं जाते हैं। घर की बड़ी महिलाऐं दौज पर कहानी सुनाती है। कहानी सुनाने के बाद पटे पर खड़े कर के भाईयों के माथे पर तिलक करती हैं। बहिनों के तिलक करने के उपरांत भाई बहिनों को उपहार देते हैं। इस अवसर पर मुरैना उपजैल में बन्द कैदी भाईयों से मिलने के लिए भारी संख्या में पहुंची बहिनों के लिए जैल प्रशासन ने खास इंतजाम किये। बहिनों ने अपने बंदी भाईयों के माथे पर जब तिलक लगाया तो जैल में बंद भाईयों की आंखे नम हो गई। उन्हें अपनी करनी पर पक्षतावा हो रहा था, कि बहिनों को दौज के दिन उनसे मिलने जैल में आना पड़ रहा है। इस अवसर पर शहर के मिठाईयों की दुकानों पर भी बिक्री जोरों पर थी।
मुरैना, अक्टूबर। आज भाईदूज पर बहिनों ने किया भाई के माथे पर तिलक कर मिठाई खिलाकर कर लम्बी उम्र की कामना की। दीपावली के तीसरे दिन बहिन - भाई का त्यौहार भाई दूज बड़े हर्षोल्लास से मना सुबह से ही बहिने अपने भाई को टीके करने के लिए घर में तैयारियां आरंम्भ कर दी। भाई दौज के दिन सुबह से ही बसों व ट्रेनों में भारी भीड़ आ जा रही थी। ट्रेनों में भीड़ अधिक होने के कारण महिलाओं और बच्चों का कॉफी मुश्किलों का सामना करना पढ़ा।
इस दिन बहिन वृत रखती है। अपने भाईयों का इन्तजार करती है। घर में विभिन्न प्रकार के स्वाष्टिक पकवान बनाऐं जाते हैं। घर की बड़ी महिलाऐं दौज पर कहानी सुनाती है। कहानी सुनाने के बाद पटे पर खड़े कर के भाईयों के माथे पर तिलक करती हैं। बहिनों के तिलक करने के उपरांत भाई बहिनों को उपहार देते हैं। इस अवसर पर मुरैना उपजैल में बन्द कैदी भाईयों से मिलने के लिए भारी संख्या में पहुंची बहिनों के लिए जैल प्रशासन ने खास इंतजाम किये। बहिनों ने अपने बंदी भाईयों के माथे पर जब तिलक लगाया तो जैल में बंद भाईयों की आंखे नम हो गई। उन्हें अपनी करनी पर पक्षतावा हो रहा था, कि बहिनों को दौज के दिन उनसे मिलने जैल में आना पड़ रहा है। इस अवसर पर शहर के मिठाईयों की दुकानों पर भी बिक्री जोरों पर थी।
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