स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री का भाषण

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री का भाषण

मेरे प्यारे देशवासियो,

भाइयो, बहनो और प्यारे बच्चो,

       आज हमारी आजादी की 60वीं सालगिरह है । इस शुभ अवसर पर, मैं आप सबको और हर एक भारतवासी को बधाई देता हूं ।

       आज अपने प्यारे तिरंगे को सलाम करते हुए, हम बहुत पएख्र महसूस कर रहे हैं। आइए, हम अपनी जंग-ए-आजादी के उन सेनानियों के महान बलिदान को गर्व के साथ याद करें, जिनके देश-प्रेम ने हमें आजादी दिलाई ।

       आइए, खुशी के इस अवसर पर, हम अपने उन सभी नागरिकों को सलाम करें, जिन्होंने इन साठ सालों में, एक नए भारत को बनाने में योगदान दिया । आइए, हम अपने उन सभी बहादुर जवानों, और बहादुर नागरिकों को, नमन् करें, जिन्होंने देश की एकता, अखंडता और तरक्की के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी ।

       साठ साल पहले, हमने एक आज़ाद देश के रूप में एक नई यात्रा शुरू की थी। हमें महात्मा गांधी के पैग़ाम और विचारों से प्रेरणा मिली । उनके नज़रिए के मुताबिक, हमारी आजादी सही मायनों में तभी पूरी होगी, जब हम देश के ग़रीब लोगों को, घोर ग़रीबी से छुटकारा दिला पायेंगे ।

प्यारे देशवासियो,

       आज यहां खड़े होकर, जब मैं आसमान में अपने तिरंगे को शान से लहराते हुए देख रहा हूं तो मुझे अपने पिछले तीन सालों में कही हुई कुछ बातें याद आ रही हैं ।

       इन तीन सालों में हमने, एक ऐसे नए भारत की परिकल्पना की है, जिसमें सबका हित हो । जो जाति, धर्म या लिंग के आधार पर बंटा न हो । जिसमें लोगों को अपनी उाएाबलियत और हुनरमंदी दिखाने के लिए मापिएक माहौल मिले । जो सभी का ख्याल रखता हो । जिसमें निर्बल को बल मिले, अपंग को सहारा मिले, मददहीन को मदद मिले ।

       जहां कोई भी इन्सान या इलाका तरक्की और विकास से वंचित न रहे ।

       एक ऐसा देश, जिसमें हरेक की जिन्दगी में आन हो, मान हो, मन में मर्यादा हो, ग़रिमा हो, महिमा हो, आबरू हो । जहां हर एक नागरिक को भारतीय होने पर गर्व हो ।

       एक ऐसा भारत, जो अपने पड़ोसी मुल्कों और सारी दुनिया के साथ अमन-चैन और भाईचारे के साथ रहे । एक ऐसा भारत, जिसे दुनिया में अपनी उचित जगह हासिल हो ।

       यह परिकल्पना, हमारे राष्ट्र निर्माताओं की विरासत है । हमारे संविधान की विरासत है । इस परिकल्पना को साकार करने की हमारी भरसक कोशिश रही है । इसके लिए हमने कड़ी मेहनत की है । नीतियों और कानून में बदलाव लाया है । नयी योजनाओं और कार्यक्रमों को शुरू किया है । सरकारी खर्च में जबरदस्त बढोत्तरी की है।

       आज, जब मैं यहां खड़े होकर पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मैं थोड़ी बहुत खुशी के साथ कह सकता हूं कि हम बेशक सही दिशा में आगे बढे हैं । हालांकि कुछ मामलों में हमारी रपऊतार धीमी रही हो । हम लड़खड़ाए भी हों । लेकिन, हम अपने इरादों और लक्ष्य से नहीं हटे और आम आदमी की भलाई के लिए काम करते रहे हैं । हमें कई मोर्चों पर कामयाबी भी मिली है । कुछ मुद्दों पर हमें चिंताएं भी हैं ।

       हमें अपनी कामयाबियों पर खुशी जरूर है । लेकिन कामयाबियों के बावजूद हकीकत कुछ और भी कहती है । गरीबी, बीमारी और बेरोज़गारी हटाने की दिशा में हम आगे बढे हैं । लेकिन सवाल यह है कि क्या यह काफी है ? क्या हमारी तरक्की, उसकी दिशा और उसकी गति सही है ? इस बा-रपऊतार तरक्की के बावजूद, हमारे बीच से गरीबी और बेरोजगारी क्यों नहीं हटी है ? कई इलाकों में ग़ुरबत हमें शर्मिंदा कर देती है । ऐसे सवाल हमें मायूसी या ना-उम्मीदी में नहीं पूछने चाहिए । उन समस्याओं का हल निकालने के लिए पूछने चाहिए ।

भाइयो और बहनो,

       आज, इस मौके पर, हम देश से ग़रीबी मिटाने का संकल्प लें । आजादी के बाद से हमने जो तरक्की की है, उसकी वजह से मज़दूरों और किसानों की ताकत बढी है, लोग ज्यादा काबिल और सक्रिय हुए हैं । व्यापारी वर्ग का हौंसला बुलंद हुआ है । वो अपनी नयी सोच और मेहनत के बलबूते पर, हमारी अर्थव्यवस्था को आगे ले जा रहे हैं। आज हमारी अर्थव्यवस्था जितनी तेज़ी से आगे बढ रही है, इतिहास में उसकी कोई मिसाल नहीं है । इससे हमें गरीबी मिटाने, सबको शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए, जरूरी राशि मिल रही है । मुझे यकीन है कि गरीबी दूर करने का लक्ष्य हमारी पहुंच के अंदर है ।

       इस लक्ष्य को हम हकीकत में कैसे बदलें ? हमें समझ लेना चाहिए कि विकास के वातावरण में ही गरीबी दूर की जा सकती है । इसके अलावा कोई जादू की छड़ी नहीं है । जैसे-जैसे नए उद्योग-धन्धों के लिए रास्ते खोल दिए जाते हैं, वैसे-वैसे देश के लाखों लोगों के लिए नयी नौकरियों के मौके बढते हैं । सरकारी खज़ाने में आमद बढने से शिक्षा, सेहत, खेती, सिंचाई और बुनियादी सहूलियतों के लिए ज्यादा धन मुहैया हो पाएगा । इसी से हम ग़रीबी मिटा पाएंगे ।

       पिछले तीन सालों में, आम आदमी के हित को मद्देनजर रखते हुए, हमने सामाजिक क्षेत्र के खर्चों में बेमिसाल इज़ाफा किया है । शिक्षा के खर्च में केन्द्र सरकार ने तीन गुना से ज्यादा बढोत्तरी की है । इसी तरह स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास में बढोत्तरी दुगुने से ज्यादा रही है ।

भाइयो और बहनो,

       इस बढते हुए खर्चे की मदद से, लोगों के हित के लिए हमने कई कदम उठाए हैं । हमारे ऐतिहासिक राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कानून के तहत, लोगों को 100 दिनों के रोज़गार का कानूनी हउाए मिला है । अब हमारे गरीब से गरीब लोगों को, कुछ राहत मिली है । अभी देश के आधे हिस्से में ही यह कार्यक्रम लागू है । धीरे-धीरे, इसे सारे देश में लागू किया जाएगा । मुझे यकीन है कि इस कानून से, महात्मा गांधी जी का अंत्योदय का सपना पूरा होगा । ग़रीबों के आंसू पोंछने की यह हमारी छोटी-सी कोशिश है ।

       इसके साथ-साथ, देश के गांवों की हालत में और सुधार लाने के लिए भी कदम उठाए गए हैं । किसानों को दिए जाने वाले कर्ज की रकम दोगुनी कर दी गई है । इसके ब्याज में कमी की गई है । कुछ दिक्कत वाले इलाकों में हमने ब्याज को माफ कर दिया है और कर्ज की वापसी का समय बढाया है । किसानों की आमदनी बढाने के लिए, हमने गेहूं और चावल के समर्थन मूल्यों में काफी बढोत्तरी की है । भारत निर्माण प्रोग्राम के जरिए, हम हरेक गांव को सड़क से जोड़ रहे हैं और उनमें बिजली और टेलीफोन की सुविधा दे रहे हैं । भारत निर्माण के जरिए हमारी कोशिश हो रही है कि शहरों और गांवों के बीच के फासले न रहें ।

       यह हमारी कोशिशों का केवल एक हिस्सा है । और भी कोशिशें जारी हैं । आने वाले सालों में हमारा जोर खेती के विकास पर होगा । हम अपने किसान भाइयों की आय बढाने और देश के सभी इलाकों में खेती की पैदावार बढाने के लिए 25 हजार करोड़ रूपये की लागत से एक खास कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं । सूखे से पीड़ित इलाकों के किसानों की समस्याओं पर भी खास तवज्ज़ो दे रहे हैं । मैं खुद कृषि क्षेत्र के कार्यक्रमों की जानकारी लेने के लिए कुछ राज्यों का दौरा भी कर रहा हूं ।

       हमारी तेजी से बढती अर्थव्यवस्था और आबादी को ज्यादा अनाज की जरूरत है। मुझे यकीन है कि जैसे-जैसे खेती के लिए बनाया गया हमारा यह बड़ा कार्यक्रम अमल में आएगा, वैसे-वैसे हमें देश के सभी हिस्सों में अनाज की पैदावार में काफी इज़ाफा देखने को मिलेगा । खासकर उन इलाकों में जो पहली हरित क्रांति से वंचित रह गए थे। किसान हमारे देश की रीढ हैं । उनकी तरक्की और खुशहाली के बगैर राष्ट्र की तरक्की और खुशहाली नामुमकिन है । मैं आज अपने किसान भाइयों को फिर से भरोसा दिलाता हूं कि उनका कल्याण हमारे लिए खास अहमियत रखता है और इसके लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे ।

मेरे प्यारे देशवासियो,

       हम गांवों की जो तस्वीर बदलना चाहते हैं और वहां जो तरक्की लाना चाहते हैं, वह तब तक मुमकिन नहीं है जब तक खेती की पैदावार नहीं बढेग़ी और किसानों की आमदनी में इजाफा नहीं होगा । लेकिन खेती पर निर्भर इतनी बड़ी आबादी और छोटे खेतों की ज्यादा संख्या के कारण आमदनी में बढोतरी की भी अपनी सीमाएं हैं । भारत एक ऐसा देश नहीं बन सकता जहां कुछ इलाके संपन्न हों परन्तु उनके चारों ओर गरीबी और पिछड़ापन हो । जहां विकास का फायदा ऊपरी श्रेणी के लोगों को ही मिले। यह हमारी सियासत और हमारे समाज के लिए अच्छा नहीं है ।

       इसलिए यह जरूरी है कि हम देश में खेती के बाहर रोजगार के नए साधन पैदा करें । हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि आज दुनिया में कोई ऐसा विकसित देश नहीं है जो औद्योगिक रूप से विकसित न हो । औद्योगिक विकास तरक्की के लिए बहुत जरूरी है । गरीबी को मिटाने में रोजगार सबसे कारगर हथियार है । औद्योगिक विकास से ही काम के नए मौके पैदा होते हैं । पिछले साठ सालों में हमारे देश के कई हिस्सों को औद्योगिक विकास का लाभ मिला है । मैं चाहता हूं कि अगले दशक में, हमारे देश के हरेक हिस्से में आधुनिक उद्योग लगें । इसलिए हम ऐसी नीतियों पर चलेंगे जो हमारे देश में औद्योगिक विकास के लिए मददगार साबित हों ।

       यह सच है कि किसी भी कृषि आधारित देश को एक औद्योगिक देश में बदलना हमेशा ही एक कठिन काम होता है । लेकिन औद्योगिक विकास से नए मौके पैदा होते हैं  और उम्मीदें जागती हैं । खासकर उन ग्रामीण लोगों के लिए जो खेती में बदलाव की वजह से विस्थापित होते हैं । मैं मानता हूं  कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि विस्थापन से गरीबी न बढे, ज़मीन खोने वालों की रोजी रोटी न छिने, और रोजगार खोने वालों को बेहतर रोजगार मिले । हम उन सभी विस्थापित लोगों के लिए एक नई पुनर्वास नीति को अंतिम रूप दे रहे हैं । यह हमारी सामाजिक जिम्मेवारी है कि औद्योगिक विकास से हरेक की जिंदगी में खुशहाली आए और कोई भी बदहाल न रहे।

       औद्योगिक विकास से शहरीकरण भी होगा । चूंकि ज्यादा से ज्यादा लोग शहरों में रहने लगेंगे, इसलिए हमें शहरीकरण की एक रचनात्मक प्रक्रिया अपनानी होगी । इसके लिए दूरअन्देशी, बेहतर प्लानिंग और शहरी जमीन के किपएायती इस्तेमाल की जरूरत होगी । शहरों में अच्छी जल निकासी की सख्त जरूरत है ताकि बारिश में शहरी जीवन ठप्प न हो जाए । वह दिन दूर नहीं जब 50 करोड़ भारतवासी शहरों में रहने लगेंगे और हमें उस दिन के लिए तैयारी करनी होगी ।

       औद्योगिक विकास के लिए बेहतरीन ढांचे की जरूरत पड़ेगी । सड़कों, रेलों और हवाई अड्डों का हो रहा भारी विस्तार अब तक की हमारी कोशिशों का सबूत है । अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है और ऐसा हम करेंगे । हमें बिजली क्षेत्र में कड़ी मेहनत करनी होगी ताकि सभी को बगैर रूकावट के बिजली सही कीमत पर मिल सके । मैं राज्य सरकारों से अनुरोध करता हूं कि वे इस मामले को गंभीरता से लें, क्योंकि बिजली की खस्ता हालत औद्योगिक विकास और रोजगार पैदा करने में बाधक बन सकती है ।

भाइयो और बहनो,

       यदि हम चाहते हैं कि आर्थिक विकास से पैदा हो रहे रोजगार के मौकों से हरेक नागरिक को फायदा हो, तो हमें हर एक नागरिक को शिक्षित और हुनरमंद बनाना होगा। पढी लिखी जनता के बगैर तरक्की नामुमकिन है । हमने पिछले 3 सालों में शिक्षा पर होने वाले खर्च को तीन गुना करके, केन्द्र की प्रतिबध्दता दिखाई है । मैं राज्यों से अनुरोध करता हूं कि वे भी शिक्षा को अहमियत दें, क्योंकि शिक्षा की बुनियाद पर ही हम तरक्की करके एक खुशहाल समाज खड़ा कर पायेंगे । आज बढते राजस्व के कारण राज्यों के पास धन की कमी नहीं है । अपने लोगों के पएायदे के लिए उन्हें इस अहम क्षेत्र को तरजीह देनी होगी ।

       हमारी सरकार देश में हर विकास खंड में एक बेहतरीन स्कूल खोलने में मदद देगी। ये छ: हजार नए स्कूल इन इलाकों में दूसरे स्कूलों के लिए एक मिसाल बनेंगे । अब जबकि हमें प्राथमिक शिक्षा में कुछ सफलता हासिल हो रही है, हमारे माध्यमिक स्कूलों और कॉलेजों पर बराबर दबाव बढता जा रहा है । हम माध्यमिक शिक्षा की सुविधा सभी को दिलाने के लिए कटिबध्द हैं और इसके लिए एक व्यापक कार्यक्रम बनाया जा रहा है ।

       हमारी मंशा है कि देश के कोने-कोने में कॉलेज खुलें, खासकर उन जिलों में जहां इनकी कमी है । ऐसे तीन सौ सत्तर जिलों में कॉलेज खोलने के लिए हम राज्यों की मदद करेंगे । बुनियादी शिक्षा पर जोर देने के कारण, उच्च शिक्षा पर ध्यान थोड़ा कम हो रहा था । लेकिन इसमें हम सुधार ला रहे हैं । हम 30 नए केन्द्रीय विद्यालय शुरू करेंगे, खासकर उन राज्यों में जहां कोई केन्द्रीय विश्वविद्यालय नहीं है । विज्ञान और तकनीकी शिक्षा को बढावा देने के लिए हम पांच नए  इंडियन इंसटीटयूट ऑफ साइंस, आठ नए  IITs, सात नए IIMs और बीस नए IIITs खोल रहे हैं । इससे हमारे नौज़वानों को रोजगार के नए अवसर मिल सकेंगे । मुझे विश्वास है कि, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करते हुए हम कम से कम 20 प्रतिशत बच्चों को कॉलेज में दाखिल करा सकेंगे, जो आज के मुकाबले दोगुना होगा ।

मेरे प्यारे देशवासियो,

       देश के ज्यादातर नौजवान, स्कूल के बाद एक रोजगार ढूंढना चाहेंगे। मैंने पिछले साल एक Vocational Education Mission और की बात कही थी। इस मिशन को लगभग अंतिम रूप दिया जा चुका है। हम जल्द ही इस मिशन को शुरू करने जा रहे हैं जिसके तहत सोलह सौ (1600) नए ITI और पॉलीटेक्निकल, दस हजार (10,000)नए वोकेशनल स्कूल और पचास हजार(50,000)नए Skill Development Center शुरू किए जाएंगे। हमारी कोशिश होगी कि हर साल एक करोड़ छात्र इस शिक्षा में दाखिल हो जो कि मौजूदा तादाद से 4 गुना अधिक होगा। इस पहल में हम निजी क्षेत्र की मदद लेंगे ताकि वे न केवल ट्रेनिंग में बल्कि रोजगार कराने में भी अपना योगदान दें।

       मैं आने वाले सालों में आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में एक जबर्दस्त क्रांति देखना चाहूंगा। हमें केवल काम चलाऊ साक्षरता के लिए कोशिश नहीं करनी है। हमें बेहतर शिक्षा की कोशिश करनी चाहिए। शिक्षा जो सस्ती हो, सुलभ हों, समान हो और सबके लिए हो। जो शिक्षा चाहने वाले हर बालक और बालिक को मिले। जरूरतमंदों को वजीफे मिले।

       मेरी दिली ख्वाहिश है कि भारत पूरी तरह एक शिक्षित, आधुनिक और प्रगतिशील देश बने। मैं चाहूंगा कि इस ऐतिहासिक लाल किले से भारत के कोने-कोने में ये पैगाम पहंचे कि हम भारत को शिक्षित लोगों का, हुनरमंद लोगों का और रचनाशील लोगों का देश बनाएंगें।

भाइयो और बहनो,

       जिन लोगों को तरक्की का लाभ नहीं मिल पाया है, उनके लिए लोकतंत्र और विकास के कोई मायने नहीं हैं। इसीलिए, हमारे संविधान के निर्माताओं ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और समाज के सभी अन्य पिछड़े तबकों को सशक्त बनाने पर खास जोर दिया था। साठ सालों में, हमने कई लोगों को तरक्की और सामाजिक बदलाव की सीढी पर चढते देखा है। फिर भी लाखों ऐसे लोग अब भी हैं जिन्हें हमारे सहयोग और मदद की जरूरत है। हम अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े तबकों और अल्पसंख्यकों को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और शैक्षिक रूप से ताकतवर बनाने के लिए वचनबध्द हैं।

       इन सभी वर्गों के लिए हमने मौजूदा आरक्षण का असरदार अमल करवाया है। हमने इन बच्चों के लिए वजीफा और तरक्की के कई कार्यक्रमों की घोषणा की है। इसके अलावा, मुझे खुशी है कि इन वर्गों को उद्योग और व्यापार में रोजगार दिलाने के लिए, निजी क्षेत्र को भी राजी करने में हम कुछ हद तक सफल रहे हैं। हमने, अपने जनजातीय भाइयों और बहनों को जंगलों में जमीनी हक दिलाया है। इससे उनमें सुरक्षा की भावना पैदा हुई है। प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम का मकसद है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग, विकास के कार्यक्रमों के दायरे से बाहर न रह जाएं और उनके पास अपने जीवन में सुधार लाने के लिए सभी जरूरी संसाधन मौजूद हों।

       विकलांग लोगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए हम सभी के दिलों में खास जगह है। मैं उनके कल्याण के लिए अपनी प्रतिबध्दता दोहराता हूं। हमने अपने बच्चों की हिफाजत और उनकी सही देखभाल के लिए राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग का गठन किया है। कुपोषण की समस्या देश के लिए शर्म का विषय है। हमने दोपहर के भोजन की व्यवस्था को सभी स्कूलों में लागू करके, आंगनवाड़ी व्यवस्था को व्यापक रूप से चलाकर इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की है। लेकिन यदि हमें इसमें सफल होना है, तो इसके खिलाफ हमें जमीनी स्तर से लगातार लड़ना होगा। छोटे बच्चों को माएं दूध पिलाए, अच्छा पानी और सही दवाइयां देनी होगी। हमें समुदाय और पंचायतों के सक्रिय योगदान की जरूरत है, ताकि जो हम बच्चों पर खर्च करते हैं वह उन तक पहुंच सके। मैं देशवासियों से अनुरोध करता हूं कि कुपोषण की समस्या को पांच साल के अंदर खत्म करने के लिए अपनी कमर कस कर जुट जायें।

मेरे प्यारे देशवासियो,

       हालांकि, हमने पिछले तीन सालों में कई मोर्चों पर बहुत काम किया है। फिर भी, एक क्षेत्र ऐसा है जहां अभी भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। देश के ज्यादातर लोग संगठित क्षेत्र में काम नहीं करते हैं। वे छोटे-छोटे काम धंधों में लगे हैं, अपनी छोटी-मोटी दुकानें चलाते हैं, या दिहाड़ी पर काम करते हैं। उन्हें किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा हासिल नहीं है और उनमें सुरक्षा की भावना नहीं है। ऐसे लोग बीमार पड़ने पर, या किसी हादसे का शिकार होने पर बेसहारा हो जाते हैं या कर्ज में डूब जाते हैं। हम उनके कल्याण के लिए वचनबध्द हैं। उनमें सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए कदम उठा रहे हैं। हम उन सभी नागरिकों को बुढापे में पेंशन देंगे, जिनकी उम्र 65 साल से ऊपर है और जिनकी आय गरीबी रेखा से नीचे है। हम सभी नागरिकों को जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा से सुरक्षा देंगे, ताकि उनको और उनके परिवार को किसी हादसे की सूरत में कुछ सहारा मिल सके। हम स्वास्थ्य बीमा पर भी काम कर रहें हैं ताकि गरीब तबके के लोगों को इलाज पर बहुत ज्यादा रकम खर्च न करना पड़े। इन योजनाओं को जल्द ही शुरू किया जाएगा।

       देश में कई पिछड़े इलाके भी हैं। इन इलाकों को भी तरक्की का लाभ मिलना चाहिए और हर राज्य को, हर जिले को, हर गांव को, हर व्यक्ति को विकास का लाभ मिलना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि हम पिछड़े इलाकों में निवेश बढाएं ताकि हमारा विकास संतुलित रहे। इस मकसद से हमने Backward Regions Grant Fund शुरू किया गया है, जिसमें 250 जिले शामिल हैं। समय के साथ, ये इलाके भी तरक्की में देश के अन्य हिस्सों के बराबर आ जाएंगे।

भाइयो और बहनो,

       हमें अपनी जिन्दगी को बेहतर बनाने की जल्दी तो है ही। लेकिन हमें अपने संसाधनों की हिफाजत की अहमियत को भी नहीं भूलना चाहिए। पानी ऐसा ही एक संसाधन है जिसकी बड़ी कमी है। मैं चाहता हूं कि हर नागरिक पानी के संरक्षण पर खास तवज्जो दे और इसके इस्तेमाल तथा बचत के बारे में सोचे। मैं राज्यों से अनुरोध करता हूं कि वे पानी को देश की जायजाद समझें और पानी के बंटवारे को लेकर अपने आपसी विवादों को लेन-देन की भावना के साथ सुलझाने की कोशिश करें। ऐसा करने से ही हम बाढ आैर सूखे से निपट पांएगे। हाल में बाढ से हुई तबाही को भविष्य में रोक सकेंगे।

       महात्मा गांधी ने कहा था कि कुदरत ने हमें हर इंसान की जरूरतें पूरी करने के लिए तो बहुत कुछ दिया है, लेकिन उसके लोभ को पूरा करने के लिए कम दिया है। इसलिए हमें अपने पर्यावरण को बचाना होगा। हिमालय हमारी धरोहर का एक हिस्सा है। हमारी बहुत-सी नदियां इसमें से निकलती हैं । हमें अपने ग्लेशियर्स को बचाना होगा। अपनी नदियों को साफ रखना होगा और जंगलात के इलाकों को बढाना होगा। हर नागरिक को अपनी भावी पीढियाें के हित में बाघों, शेरों और हाथियों जेसे वन्य जीवों की रक्षा करनी होगी। भारत को हरा-भरा और साफ-सुथरा रखना हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होना चाहिए।

       हमारे कामों से पर्यावरण पर पड़ने वाले असर के बारे में भी हमें जागरूक होना होगा । दुनिया भर में यह चिन्ता का मसला है कि जो ऊर्जा हम इस्तेमाल करते हैं और जो ईंधन हम जलाते हैं, उससे धरती का तापमान बढ रहा है और इसका असर कई इलाकों के लिए जोखिम भरा साबित होने वाला है । इसलिए हमें ईंधन और ऊर्जा की खपत कम से कम करने की जरूरत है । यह इंसानियत के प्रति हमारा भारतवासियों का जरूरी फर्ज है । जिस देश ने यह सिखाया है कि पूरी दुनिया एक परिवार है, उसे सारी दुनिया के सामने इसका नमूना भी पेश करना होगा ।

       मैं अपने नौजवानों से यह चाहता हूं कि वे अपने पास-पड़ोस में, बाजारों में, गाँवों और झोपड़ियों में एक 'राष्ट्रीय साफ-सफाई अभियान' में बढ-चढक़र हिस्सा लें । आइए, हम सब मिलकर थोड़ी और कोशिश करें, ताकि हमारे चारों ओर साफ-सुधरा वातावरण बने । अगर हममें से हर एक व्यक्ति अपनी कथनी को करनी में बदल सके, तो हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं । जैसा कि गांधी जी ने कहा था - जैसा बदलाव हम लाना चाहते हैं वैसा हमें खुद भी बनना होगा ।

भाइयो और बहनो,

       सबके हित के विकास की हमारी रणनीति के अमल में राज्य सरकारों, पंचायतों और शहरी निकायों को अहम भूमिका अदा करनी है । विकास के लिए संसाधनों, और लोगों को जुटाने के लिए उन सबको आगे आना होगा । जैसे श्री राजीव गांधी कहा करते थे, हमें पंचायतों को सभी कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से जोड़ना होगा । उन्हें विकास कार्यक्रमों, और खासकर स्कूलों और अस्पतालों के सही संचालन में जन भागीदारी हासिल करनी होगी । सरकार को हमें ज्यादा से ज्यादा जवाबदेह बनाना होगा और भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना होगा । सूचना का अधिकार कानून इसकी ओर एक बड़ा कदम है । मैं चाहता हूं कि उसका पूरा लाभ सभी नागरिक उठाएं ताकि सरकारी कामकाज बेहतर ढंग से चले ।

भाइयो और बहनो,

       आज, जब हम सबको साथ लेकर आगे बढना चाहते हैं, तो हमें सभी जातियों, धर्मों, भाषाओं को बोलने वाले लोगों के साथ मिल-जुलकर जीना सीखना होगा । विविधता में एकता ही हमारी ताकत है । जो लोग नफरत और उग्रवात फैलाते हैं, सांप्रदायिकता का जहर उगलते हैं, और जो हिंसा और आतंकवाद में यकीन करते हैं, उनके लिए हमारे समाज में कोई जगह नहीं है । इन सभी लोकतंत्र विरोधी, समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी ताकतों से अपने-अपने तरीके से हम सबको मुकाबला करना होगा । इस बात को लेकर किसी के मन में भी यह शक नहीं रहना चाहिए कि सरकार हर तरह के आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला पूरी ताकत से करेगी ।

       हम अपने देश के कम विकसित इलाकों, खासकर पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू और कश्मीर में, ज्यादा से ज्यादा खुशहाली लाना चाहते हैं । यह हमारा पक्का इरादा है । वहां की राज्य सरकारों को विकास का माफिक वातावरण बनाने के लिए ज्यादा सक्रिय ढंग से काम करना होगा । हम पूर्वोत्तर के राज्यों में बेहतर बुनियादी ढांचे और आसान यातायात के लिए अधिक से अधिक निवेश कर रहे हैं । जम्मू और कश्मीर में हमारी कोशिशों से राज्य के तीनों क्षेत्रों में नए निवेश आ रहे हैं । राज्य में लोकतंत्र की जड़े मजबूत हुईं हैं । ङदृद्वदड्डद्यठ्ठडथ्ङ्ढ बातचीत से मेल मिलाप और तरक्की के नए रास्ते खुले रहे हैं ।

भाइयो और बहनो,

       पिछले साठ सालों के दौरान हमारी सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि हमने एक खुले समाज और खुली अर्थव्यवस्था की पक्की बुनियाद रखी है । भारत में कई संस्कृतियां हैं । भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है । दुनिया के सभी धर्म यहाँ मौजूद हैं । इसीलिए, हमें भारतीय होने पर गर्व है । इसीलिए दुनिया में हमारी इज्जत भी है ।

       हमारी आजादी के साठ साल बाद, दुनिया हमें अलग ही नजरिए से देखने लगी है । इतनी बड़ी आबादी वाले देश में, इतनी विविधताओं के होते हुए भी, लोकतंत्र की सफलता को दुनिया भर में बड़े आदर की निगाह से देखा जाता है । हमारी सहनशीलता की कद्र की जाती है । दुनिया आज चाहती है कि हम तरक्की करें । हमारी चुनौतियां देश के अंदर हैं, बाहर नहीं ।

       भारत दुनिया के छोटे-बड़े सभी मुल्कों के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहता है, पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण के सभी देशों के साथ । दुनिया के कई अलग विचारों के बीच हमने पुल का काम किया है । हमारी मिली-जुली तहजीब इस बात का जीता-जागता सबूत है कि अलग-अलग सभ्यताएं एक साथ रह सकती हैं । भारत हमेशा ही दुनिया में मौजूद मतभेदों को दूर करने में अपनी भूमिका निभाता रहेगा । आज सभी बड़ी ताकतों और सभी विकासशील देशों के साथ हमारे अच्छे ताल्लुकात हैं।

       भारत अपने पास-पड़ोस में अमन और खुशहाली चाहता है । मैं अपने सभी पड़ोसी मुल्कों को यकीन दिलाता हूं कि भारत के लोग अमन-चैन चाहते हैं और उन सभी के साथ बेहतर रिश्ते कायम करना चाहते हैं । हम उनकी तरक्की और भलाई के ख्वाहिशमंद हैं । इसी में ही हमारी अपनी सुरक्षा और तरक्की है ।

मेरे प्यारे देशवासियो,

       हमारा मुल्क एक जवान मुल्क है । इससे भी अहम बात यह है कि हमारा देश नौजवानों का देश है । यदि इन नौजवानों की ताकत को पूरी तरह इस्तेमाल में लाया जाए तो वे भारत को तरक्की के एक नए रास्ते पर आगे ले जा सकते हैं । मैं आप सबको यकीन दिलाता हूं कि एक बेहतर भविष्य हमारा इंतजार कर रहा है ।

       लेकिन हमें संभलकर चलना है । हमें अभी एक बहुत लम्बा फासला तय करना बाकी है । हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए कम से कम एक दशक तक कड़ी मेहनत करनी होगी । विकास की रपऊतार को बनाए रखना होगा । हमें अलगाव पैदा करने वाले विचारों तथा मसलों पर काबू रखना होगा और मिलकर काम करना होगा । अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से आगे बढना होगा । हमें अपने लोगों, अपने नौजवानों, किसानों और अपने कारोबारियों की ताकत को इस्तेमाल में लाना होगा ।

       हमें अपनी ताकत और क्षमताओं पर यकीन रखना होगा । हमारी अपनी-अपनी अलग पहचान है । लेकिन हरेक नागरिक को यह समझना होगा कि वह सबसे पहले भारतीय है । हम अपना बहुत वक्त, छोटी-छोटी बातों में गैर-जरूरी व्यक्तिगत मतभेदों में बिता देते  है। मैं सभी राजनीतिक दलों, सभी राजनीतिक तथा सामाजिक नेताओं से अनुरोध करता हूं कि वे लोगों में अलगाव पैदा करने की कोशिशों से बचें । हमारी विविधता के बावजूद, हमारी ताकत हमारी एकता में ही है । इसी एकता के बल पर ही हमें आजादी मिली । यही एकता हमें एक राष्ट्र के रूप में ताकत देती है ।

       यही हमारे राष्ट्र निर्माताओं का सपना था । यही हमारे संविधान का सपना था । अपने सपनों के भारत से हमें हटना नहीं है । मुश्किलों का हिम्मत से सामना करना है । लगभग साठ साल पहले, इसी जगह से पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने कहा था - 'देश कायदे और कानूनों से, और जो कागज पर लिखा जाए उससे नहीं बनता । देश बनता है देश की जनता की दिलेरी और हिम्मत से और काम करने की शक्ति से ।' भाइयों और बहनों, आइए, हम देशवासियों की भलाई के लिए, देश के कल्याण के लिए एकजुट होकर काम करें ।

       जय हिन्द !

 

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