'विद्यार्थी कल्याण सहायता नियम' : 25 हजार रुपये तक की सहायता का प्रावधान

'विद्यार्थी कल्याण सहायता नियम' : 25 हजार रुपये तक की सहायता का प्रावधान

अनुसूचित जाति, जनजाति तथा विमुक्त जाति के विद्यार्थियों के लिये 'विद्यार्थी कल्याण सहायता नियम' संचालित है। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर अनुसूचित जाति, जनजाति तथा विमुक्त जाति के विद्यार्थियों की विशिष्ट परिस्थितियों में आकस्मिक आवश्यकता की पूर्ति के लिये सहायता देना है ताकि ऐसे विद्यार्थियों के अध्ययन में किसी प्रकार की रुकावट न हो। इस योजना के तहत विद्यार्थियों के कल्याण से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों के लिये सहायता की राशि एक हजार रुपये से 25 हजार रुपये तक का प्रावधान है। नियम के तहत विद्यार्थी के छात्रावास-आश्रम में निवासरत रहते हुए मृत्यु होने पर 25 हजार रुपये की सहायता राशि की सीमा तय की गई है।

योजना में विद्यार्थियों को जिन परिस्थितियों में सहायता दिये जाने का प्रावधान है, उनमें आकस्मिक विपत्ति में सहायता, विशेष रोग से पीड़ित होने पर रोग निवारण के लिये, विद्यार्थी की विशेष अभिरुचि को प्रोत्साहन देने, लोक नृत्य, लोक गीत, खेल-कूद आदि के प्रदर्शन में भाग लेने तथा विद्यार्थियों के कल्याण से संबंधित विभिन्न अन्य कार्यक्रमों के लिये सहायता दिया जाना शामिल है।

विद्यार्थी कल्याण के लिये जिन नियमों के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के लिये योग्यताएें रखी गई हैं उनमें छात्र-छात्रा को शासकीय अथवा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्था का नियमित विद्यार्थी होना होगा। अनुसूचित जाति, जनजाति तथा विमुक्त जाति के समस्त छात्र-छात्राओं को जो कक्षा एक से 10वीं तक तथा मेट्रिकोत्तर पाठयक्रम में अध्ययनरत हों।

छात्रावास-आश्रम में निवासरत रहते हुए मृत्यु होने पर सहायता राशि की सीमा 25 हजार रुपये तक है। कलेक्टर इसकी अनुशंसा करेंगे। राशि स्वीकृत करने का विभागाध्यक्ष को पूर्ण अधिकार रहेगा। शाला में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिये आकस्मिक विपत्ति में सहायता राशि की सीमा पांच हजार रुपये है। इसकी अनुशंसा सहायक आयुक्त, जिला संयोजक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत अथवा तहसीलदार एवं मण्डल संयोजक कर सकेंगे। इसके तहत कलेक्टर पांच हजार रुपये तक तथा सहायक आयुक्त#जिला संयोजक एक हजार रुपये तक की राशि स्वीकृत कर सकेंगे। विशेष रोग जैसे टी.बी., ब्लड कैंसर, ह्रदय रोग, मोतियाबिंद, एण्टीरेबीज बाइट, त्वचा रोग, ल्यूकोमा इत्यादि तथा निशक्त छात्र-छात्राओं को विशेष उपकरण जैसे ट्रायसिकल इत्यादि देने के लिये वास्तवकि व्यय या 10 हजार रुपये तक सहायता राशि दी जा सकेगी। इसमें 10 हजार रुपये तक कलेक्टर स्वीकृत कर सकेंगे। इनकी अनुशंसा जिला स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अथवा सिविल सर्जन तथा विशेषज्ञ कर सकेंगे।

इसी प्रकार विशिष्ट सार्वजनिक समारोह, क्रीड़ा प्रतियोगिताएें एवं प्रदर्शन आयोजन में प्रतिभागियों को पोषाक#परिधान एवं साज-सज्जा का प्रदाय के लिये एक हजार रुपये तक प्रति विद्यार्थी (वर्ष में एक बार) सहायता राशि दी जायेगी। विद्यार्थियों की सामूहिक एवं व्यकितगत आवश्यकताओं (शैक्षणिक गुणवत्ता के लिये) से उद्भूत तात्कालिक समस्याओं के निराकण के लिये तीन हजार रुपये राशि की सीमा है। यह राशि सहायक आयुक्त तथा जिला संयोजक मंजूर कर सकेंगे। इन सहायता राशियों की अनुशंसा के लिये शाला प्रमुख, छात्रावास अधीक्षक, विकासखण्ड शिक्षाधिकारी, क्षेत्र संयोजक तथा मण्डल संयोजक की अनुशंसा आवश्यक होगी। आवेदन करने के लिये आवेदक को संस्था या छात्रावास-आश्रम में प्रवेशित होना चाहिये। उसके संस्था प्रमुख अधीक्षक-अधीक्षिका का दायित्व होगा कि वे आवेदन संबंधी औपचारिकताएें पूर्ण करें।

अनुदान प्राप्त करने के लिये इच्छुक छात्र-छात्राओं को जाति एवं आय प्रमाण-पत्र सहित आवेदन-पत्र शाला प्रमुख को प्रस्तुत करना होगा। शाला प्रमुख आवेदन-पत्र जिला संयोजक#सहायक आयुक्त को प्रस्तुत करेंगे। योजना की जानकारी के लिये विकासखण्ड स्तर पर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य, प्रधानाध्यापक, क्षेत्र संयोजक, मण्डल संयोजक, जिला स्तर पर सहायक आयुक्त, जिला संयोजक तथा जिला कलेक्टर से संपर्क किया जा सकता है। साथ ही मुख्यालय स्तर पर आयुक्त आदिवासी विकास से भी योजना के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

 

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