बीमा क्षेत्र जबर्दस्त विस्तार के लिए तैयार - पी.के. बंसल

बीमा क्षेत्र जबर्दस्त विस्तार के लिए तैयार - पी.के. बंसल

भारत में बीमा क्षेत्र में जबर्दस्त विस्तार के लिए तैयार है। केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पवन कुमार बंसल ने आज सिडनी में इंश्योरेंस आस्ट्रेलिया ग्रुप की बैठक को संबोधित करते हुए यह संकेत दिया। उन्होंने कहा कि बैंकों ने भी बीमा उत्पादों के विपणन हेतु सघन एवं व्यापक पहुंच कायम करने के लिए कारपोरेट एजेंसियां या विशेष व्यवस्था के जरिए बीमा क्षेत्र में अपना कदम रखा है। उन्होंने कहा कि आईआरडीए ने भी ग्रामीण बाजारों की क्षमता का लाभ उठाने में बीमा कंपनियों की राह आसान बनाने के लिए लघु बीमा विनियम अधिसूचित किये हैं। इन विनियमों के अनुसार लघु वित्त संस्थाएं (एमएफआई), गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), स्व-सहायता समूहों (एसजीएच) को लघु वित्त एजेंटों के रूप में मान्यता दी गयी है। मंत्री महोदय ने कहा कि बीमा क्षेत्र में 26 प्रतिशत तक विदेशी इक्विटी की अनुमति दी गयी है। विदेशी साझीदारी के प्रवेश से इस क्षेत्र में 31 मार्च, 2007 तक 543 मिलियन अमरीकी डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हो चुका है।

      श्री बंसल ने कहा कि हालांकि हाल के वर्षो में बीमा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृध्दि हुई है लेकिन अभी भी भारत विश्व औसत से काफी पीछे है। बीमा घनत्व तथा बीमा विस्तार में भारत का क्रमश: 78वां एवं 54वां स्थान है। विश्व में बीमा घनत्व 469.9 अमरीकी डालर तथा बीमा विस्तार 8.06 प्रतिशत है जबकि भारत में 2003 में बीमा घनत्व 19.70 अमरीकी डालर तथा बीमा विस्तार 3.17 प्रतिशत ही था। हालांकि इस क्षेत्र को खोल देने से दोनो सूचकांक में वृध्दि हुई है।

      श्री बंसल ने कहा कि बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) ने 37 बीमा कंपनियों का पंजीकरण किया है। इनमें 17 जीवन बीमा सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी समेत) तथा 19 गैर जीवन बीमा (चार सार्वजनिक उद्यम, एक एआईसीएल तथा एक ईसीजीसी समेत) तथा एक पुनर्बीमा कंपनी शामिल हैं। फिलहाल 17 कंपनियां सामान्य बीमा के क्षेत्र में तथा 17 बीमा कंपनियां जीवन बीमा के क्षेत्र में काम कर रही हैं।

            उन्होंने कहा कि भारत तेजी से बढते मध्यम वर्ग के साथ विशाल बाजार तथा स्थिर निवेश वातावरण उपलब्ध करा रहा है। ए टी कीर्नेक द एफडीआई कांफीडेंस इंडेक्स 2005 ने चीन के बाद भारत को निवेश के लिए दूसरा सबसे बड़ा आकर्षक केन्द्र बताया है तथा विश्व निवेश रिपोर्ट 2005 में भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत को निवेश के लिए दूसरा सबसे बड़ा केन्द्र का दर्जा दिया गया है।

       उन्होंने कहा कि अब ऑटो कर के जरिए 21 क्षेत्रों में प्रत्यक्ष् विदेशी निवेश की मंजूरी दी गयी है। इनमें,टाउनशिप, आवास, बुनियादी ढांचा निमाण, विनिर्माण विकास परियोजनाएं, हीरे तथा कीमती पत्थरों के भंडारों की खोज तथा खनन और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शामिल हैं।

 

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