जड़ी-बूटियों की खरीदी एवं विक्रय हेतु मुरार, लश्कर एवं श्योपुर में हर्बल मंडियां स्थापित होगीं

जड़ी-बूटियों की खरीदी एवं विक्रय हेतु मुरार, लश्कर एवं श्योपुर में हर्बल मंडियां स्थापित होगीं

ग्वालियर 24 जुलाई 2007

हर्बल उत्पादकों को बढावा देने, कृषकों एवं सुदूर वनांचल में रहने वाले तथा जडी-बूटियां संग्रहण करने वाले संग्रहकों को उनकी जडी-बूटियों को बाजिव दाम मिले और क्षेत्र के वैद्य और आमजन सस्ते दामों पर जड़ी-बूटियां आसानी से क्रय कर सकें ।  इसके लिये ग्वालियर एवं चंबल संभागों के तीन स्थानों मुरार, लश्कर एवं श्योपुर में हर्बल मंडियों की स्थापना की जायेगी । इन मंडियों के माध्यम से हर्बल उत्पादों की खरीदी एवं विक्रय का कार्य किया जायेगा।

       उक्त आशय का निर्णय वन संरक्षक श्री जे.पी. नारायण की अध्यक्षता में गत दिनों आयोजित बैठक में लिया गया । बैठक में बताया गया कि हर्बल मंडी मुरार, लश्कर एवं श्योपुर में शुरू करने पर चर्चा की गई है । वन संरक्षक ने बताया कि मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन द्वारा हर्बल मंडियों के लिये राज्य लघु वनोपज संघ को मंडी प्रागंण में एक प्लेट फार्म उपलब्ध कराया जायेगा । इस प्लेटफार्म पर बैठकर व्यापारी औषधियों का क्रय-विक्रय आसानी से कर सकेंगे । जिसमें हर्बल उत्पादकों को बाजिव मूल्य प्राप्त हो सकेगा । सभी हर्बल मंडियों में विक्रय के लिये एक बोर्ड लगाया जायेगा । इन बोर्ड पर हर्बल उत्पादों के आवक एवं विक्रय की दरें भी दर्शाईं जायेंगी । जिससे खरीददारों को जडी बूटियां और वन औषधी की कीमतों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकेगी । वन संरक्षक ने बताया कि इच्छुक हर्बल व्यापारी संबंधित जिले की कृषि उपज मंडी समिति के सचिव से पंजीकरण हेतु संपर्क कर सकेंगे । इसके लिये संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं ।

       उन्होंने बताया कि हर्बल मंडियों में आने वाली जड़ी-बूटियों की दरें निर्धारित करने के लिये भोपाल, नीमच आदि अन्य स्थानों पर जहां पहले से हर्बल मंडी स्थापित है । उनसे संपर्क कर कच्चे माल की दरें प्राप्त कर हर्बल मंडियों के लिये दरें निर्धारित की जायेंगी ।

       बैठक में कृषि विपणन बोर्ड ग्वायिलर के प्रभारी उपसंचालक श्री प्रदीप जाधव लघु वनोपज संघ के सहायक संरक्षक श्री वी.पी. उपाध्याय आदि उपस्थित थे । गौरतलब है कि क्षेत्र में पाई जाने वाली मुख्य जड़ी बूटियां में सफेद मूसली, नागर मौथा, शहद, मालकांगनी, सनायपत्ती, विधारा मूल, खैर छाल, इंद्र जौ, बबूल छाल, अरंडी मूल, निम्बोली, महुआ, अश्वगंधा, गिलोय, शताबर, गुडमार, बेलगूदा, भारंगी छाल, अडूसा, वरूण छाल, शंखपुष्पी, खरेठ, भृगंराज, गोखरू बड़ा आदि हैं ।

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राज्य सुरक्षा समिति की बैठक सम्पन्न

11वीं योजना के दौरान 78,000 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता जोड़ने का प्रस्ताव

आज विद्युत बंद रहेगी