श्री अर्जुन सिंह कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्धाटन करेंगे

श्री अर्जुन सिंह कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्धाटन करेंगे

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) 10-11 अक्तूबर, 2007 को यहां केन्द्रीय, राज्य, समकक्ष तथा निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह सम्मेलन का उद्धाटन करेंगे। देश के विश्वविद्यालयों के 400 से ज्यादा कुलपति इस दो-दिवसीय सम्मेलन में भाग लेंगे।  सम्मेलन के समापन सत्र को केन्द्रीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्री श्री कपिल सिब्बल सम्बोधित करेंगे।

       आधुनिक विश्वविद्यालय प्रणाली के शानदार 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर यूजीसी द्वारा एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में 18वीं शताब्दी के प्रारंभ से लेकर अभी तक उच्च शिक्षा की विकास यात्रा का प्रदर्शन किया जाएगा।  मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह इस प्रदर्शनी का भी उद्धाटन करेंगे।      

       यूजीसी द्वारा मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद और नई दिल्ली में आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलनों की परिणति के रूप में इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। क्षेत्रीय सम्मेलनों में 218 कुलपतियों, महाविद्यालय विकास परिषदों के निदेशकों तथा विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा सचिवोंनिदेशकों, राज्य उच्च शिक्षा परिषदों के अध्यक्षों ने भाग लिया था। क्षेत्रीय सम्मेलनों में उठाए गए मुद्दों  और की गई सिफारिशों पर राष्ट्रीय सम्मेलन में विचार-विमर्श किया जाएगा। राष्ट्रीय सम्मेलन के निम्नलिखित छह सत्र होंगे। योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोन्टेक सिंह अहलुवालिया, यूजीसी  के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 यशपाल, भूतपूर्व केन्द्रीय योजना तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री, प्रो0 वाई.के. अलघ, योजना आयोग के सदस्य प्रो0 बी. मुंगेकर जैसी ख्याति प्राप्त हस्तियां इन तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता करेंगे।

·        उच्च शिक्षा का विस्तार- उच्च शिक्षा में सकल दाखिला अनुपात को बढाक़र 15 प्रतिशत करना। नए विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना, उच्च शिक्षा के मौजूदा संस्थानों का उन्नयन तथा इन्हें मजबूत बनाना और उच्च शिक्षा को सम्बध्द बनाने की व्यवस्था।

·        समानता तथा समावेशन- वंचित तथा अलग-थलग पड़े सामाजिक समूहों और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को उच्च शिक्षा सुलभ कराने में आ रही बाधाओं को दूर करना  इस सत्र में उच्च शिक्षा में क्षेत्रीय तथा अन्तर-सामाजिक समूहों के बीच असंतुलन को दूर करने की कार्यनीति पर भी विचार-विमर्श होगा।

·        गुणवत्ता तथा उत्कृष्टता- उच्च शिक्षा में गुणवत्ता तथा उत्कृष्टता में सुधार के तौर-तरीकों पर चर्चा। विचार-विमर्श में (क) यूजीसी से अनुदान प्राप्त न करने वाले विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को यूजीसी के विकास अनुदान के दायरे में लाना।  (ख) सी तथा बी ग्रेड के विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों को A ग्रेड के स्तर पर लाना (ग) संकाय संसाधनों को मजबूत बनाना तथा  सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना और उन्हें  संकाय सदस्यों के रूप में बनाए रखना तथा छात्रवृत्ति कार्यक्रमों जैसे विषय शामिल हैं।

·        अकादमिक तथा प्रशासनिक सुधार- इस सत्र में विचार-विमर्श के लिए प्रशासनिक व्यवस्था, परीक्षा व्यवस्था, संकाय नियुक्ति, चयन, निष्पादन, छात्र मूल्यांकन, पाठयक्रम और शिक्षा शास्त्र, प्रशासन, विश्वविद्यालय स्वायत्तता, सार्वजनिक जवाबदेही और उच्च शिक्षा की सम्बध्दीकरण व्यवस्था में सुधार आदि विषय शामिल किए गए हैं। सत्र में इस प्रस्ताव पर भी विचार किया जाएगा कि सुधारों के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक तथा अनुकूल माहौल बनाकर इन्हें किस प्रकार तेजी से लागू किया जाए।

·        उच्च शिक्षा में निजी भागीदारी तथा अन्तर्राष्ट्रीयकरण- इस सत्र में उच्च शिक्षा में निजी निवेश सुलभ कराने और इसे विनियमित करने के मुद्दों, अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग, विदेशों में भारतीय उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन, विदेशी विश्वविद्यालयों तथा उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों का प्रवेश और इनका विनियमन जैसे विषयों पर चर्चा होगी।

·        उच्च शिक्षा का वित्त पोषण- इस सत्र मे ीस से संबंधित मुद्दों, वित्त पोषण प्रणाली, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और इनसे उत्पन्न चुनौतियों और मुद्दों पर चर्चा होगी।

 

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