कृषि उत्पादकता में 148 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की वृध्दि (किसान महापंचायत

कृषि उत्पादकता में 148 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की वृध्दि (किसान महापंचायत
संजय गुप्‍ता/मांडिल/ मुरैना ब्‍यूरो चीफ मुरैना 19 फरवरी 08मध्यप्रदेश में राज्य सरकार द्वारा कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये किये गये प्रयासों के फलस्वरूप बीते चार वर्षों में कृषि उत्पादकता में 148 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की वृध्दि हुई है।
इसके लिए सरकार ने किसानों को खेती किसानी के बेहतर संसाधन उपलब्ध कराए जिसमें प्रमाणिक और बेहतर बीज सबसे अहम मदद किसानों को दी। सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप आज प्रदेष में किसानों ने गेहूं और सोयाबीन के खराब किस्मों के बजाए अच्छे किस्मों के बीज उपयोग करने की दर में वृध्दि हुई है। चार वर्षों में जहां गेहूं के अच्छे किस्मों के बीज उपयोग की दर 6.28 प्रतिषत हुई है वहीं सोयाबीन में यह दर 10 से बढ़कर 15 प्रतिषत हुई है। अच्छे बीज उपलब्ध हो इसके लिए सरकार ने सहकारी क्षेत्र में संभवत: देष के पहले बीज उत्पादक सहकारी संघ की स्थापना की। पहले ही वर्ष संघ ने अपनी सहकारी समितियों के माध्यम से रिकार्ड प्रमाणिक बीज का उत्पादन किया। सरकार ने उन्नत किस्म के बीज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रत्येक जिले की एक बीज योजना तैयार की है। बीज उत्पादन सहकारी समितियों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें 300 की बजाए 500 रूपये का अनुदान देने का निर्णय लिया गया है।
सदियों से बगैर किसी उद्देष्य के मेहनतकष जीवन जिए जा रहे 74 लाख खेतिहार मजदूरों को मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना ने बेहतर जीवन जीने का अवसर दिया है। इस योजना के जरिए खेतिहर मजदूर के परिवार को आर्थिक, सामाजिक सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान की गई है। इसी तरह असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कृषि श्रमिकों की न्यूनतम वेतन दर 17 रूपये से बढ़ाकर 67 रूपये प्रतिदिन की गई। हाल ही में मुख्यमंत्री ने बैलगाड़ी पर 50 प्रतिषत तक अनुदान देने की घोषणा की है। पिछले चार वर्षों में किसानों को उन्नत खेती के तौर तरीके सिखाने के लिए विषेष प्रषिक्षण योजनाएं प्रारंभ की है। किसान रथ यात्राओं के जरिए प्रदेष के कोने-कोने में रह रहे किसानों तक पहुंच बनाकर उन्हें कृषि की नई तकनीक और उन्नत तरीकों से अवगत कराया। इसके माध्यम से 5 लाख 59 हजार 227 किसानों से सीधे संवाद किया गया। एग्रीनेट के जरिए प्रत्येक विकास खंड को कम्प्यूटर से जोड़ा गया। कृषक आयोग के गठन के महतवपूर्ण फैसले के साथ सरकार ने पंचायत स्तर तक किसान मंच का गठन किया। किसानों को सबसे राहत देने वाला एक और फैसला सरकार ने लिया वह था फसल बीमा इकाई तहसील से घटाकर पटवारी हल्का करना। इससे किसानों की बहुप्रतिक्षित मांग शासन ने पूरी की। प्रदेष में सूखे के आकलन के मापदंडों को व्यापक रूप दिया गया है। अब फसलों की अनावरी के अलावा सितम्बर अंत तक की बारिष और रबी फसल की बुआई के रकबे के आधार पर भी सूखा घोषित करने का प्रावधान रखा गया है और क्लस्टर में गांवों की संख्या 20 से घटाकर 10 की गई है।
किसानों को अपने उत्पादन का वाजिब दाम मिले इसके लिए मंडियों को अत्याधुनिक और सर्वसुविधायुक्त बनाया गया है। 'क' और 'ख' श्रेणी की सभी मंडियों में इलेक्ट्रानिक तौल-कांटे लगाए गए है। प्रथम चरण में 64 मंडियों, संभागीय कार्यालयों एवं बोर्ड मुख्यालय को कम्प्यूटर से जोड़ा गया है। मंडियों को आधुनिक कृषि उपज बाजार के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन चार सालों में कृषि उत्पादन को बाजार पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण काम हुआ। वह था 'एग्री बिजनेस मीट' इसके जरिए कृषि क्षेत्र में सात हजार करोड़ के निवेष के प्रस्ताव प्राप्त हुए।

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